स्वावलंबन की चाह हर किसी में होती है, खुद की कमाई का सपना हर कोई देखता है! जीवनभर मैंने भी संघर्ष किया, लेकिन सफलता मेरे हाथ नहीं लगी। यदि आज मेरी बहू मेरे साथ नहीं होती, तो शायद मैं अभी भी अपने सपनों को साकार नहीं कर पाती।-आबा
उम्र के उस दौर में, जब अधिकांश लोग विश्राम की योजनाएँ बनाते हैं, 70 वर्षीय चंद्रप्रभा परिहार, जिन्हें सभी प्यार से आबा कहते हैं, अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक चला रही हैं। मुंबई की निवासी आबा ने लगभग 1.5 साल पूर्व क्रोशिया कला का उपयोग कर बैग्स, टोपियां, घरेलू सजावट की वस्तुएँ और राखियाँ बनाना शुरू किया और इसे ‘नैहर’ के नाम से अपने ब्रांड की पहचान दी।
जीवन के 70 वर्ष तक, आबा ने पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभाला। बचपन से उन्हें कढ़ाई और बुनाई में रूचि थी, लेकिन इसे व्यवसायिक रूप देने का विचार उन्होंने कभी नहीं किया था, भले ही उन्होंने इस कला में 20 वर्ष पूर्व डिप्लोमा भी प्राप्त किया था। शायद वे अपने सपने को साकार न कर पातीं, यदि उनकी बहू स्वाति ने उनका समर्थन न किया होता।
स्वाति ने अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए आबा द्वारा संभाली गई घरेलू और पोते की देखभाल की जिम्मेदारियों की सराहना की। लेकिन, जब स्वाति ने आबा की क्रोशिया करते हुए उनकी आंखों में उत्साह और जुनून देखा, तो उन्होंने इस अवसर को न चूकने का निश्चय किया।
और इस तरह शुरू हुआ बिज़नेस
शुरू में, यह सास-बहू की जोड़ी ने इसे महज एक शौक के रूप में अपनाया। स्वाति, आबा को यूट्यूब से खोजे गए नवीन डिज़ाइन प्रदान करतीं, और आबा उन्हें बनाकर अपने परिचितों में वितरित करतीं, जिससे उन्हें खुशी मिलती। व्यवसाय का विचार तब आया जब आबा की एक भांजी ने उनके द्वारा बनाया गया बैग अपने कार्यस्थल पर ले जाया।
एक सहकर्मी के अनुरोध पर कि आबा उसके लिए भी एक बैग बनाएं, से यह विचार फैलना शुरू हुआ और जल्द ही आबा को ऑस्ट्रेलिया से भी एक बड़ा ऑर्डर मिला।
इस ऑर्डर ने दोनों के आत्मविश्वास को बढ़ाया, और स्वाति ने विस्तृत अनुसंधान के बाद अपनी कंपनी को आधिकारिक रूप से पंजीकृत किया और उसके बाद वेबसाइट तथा इंस्टाग्राम पेज को लॉन्च किया।
आज, आबा अपने प्रत्येक ऑर्डर पर काम करती हैं और एक सफल उद्यमी बन चुकी हैं। आबा के कार्य को समर्थन देने के लिए, आप भी उनकी वेबसाइट www.nayher.com पर जाकर उनके हाथों से बनी चीजें को खरीद सकते हैं।