बिहार में विधानसभा चुनाव भले ही अभी छह महीने दूर हों, लेकिन सियासी सरगर्मी अपने चरम पर पहुंचने लगी है। खासकर महागठबंधन के भीतर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर माथापच्ची तेज हो गई है। सत्ता में साझेदारी के बावजूद सहयोगी दलों के बीच आपसी खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पारा चढ़ता जा रहा है और इसी बीच विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने एक बड़ा ऐलान करके राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सहनी ने अपने राजनीतिक भविष्य और पार्टी की रणनीति को लेकर एक अहम घोषणा की है, जिससे आने वाले चुनावी समीकरणों पर गहरा असर पड़ सकता है।
क्या बोले मुकेश सहनी?
सरकार बनाओ, अधिकार पाओ’ कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम के तहत चंडी प्रखंड में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुकेश सहनी ने कहा कि अगर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनती है तो तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होंगे और मैं उपमुख्यमंत्री बनूंगा।
लेकिन इस बीच अब वीआईपी पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी के एक एलान ने बिहार की सियासत में हलचल पैदा कर दी है। मुकेश सहनी ने कहा कि महागठबंधन के जीतते ही मैं उपमुख्यमंत्री बनूंगा। अब मुकेश सहनी की मांग को लेकर आरजेडी तैयार होगी या नहीं यह बाद की बात है। लेकिन कांग्रेस के सामने तो एक चैलेंज जरूर खड़ा हो गया है।
कुर्सी को लेकर मंथन शुरू
महागठबंधन में शामिल आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के बीच यह तय करना आसान नहीं दिख रहा कि, चुनाव के बाद अगर सत्ता में वापसी होती है तो मुख्यमंत्री पद किसे मिलेगा। आरजेडी अपने नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार के रूप में पेश कर रही है, जबकि कांग्रेस और अन्य दल इस पर खुलकर समर्थन देने से कतरा रहे हैं।
कांग्रेस की दावेदारी या असहमति?
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अधिक सीटों की मांग कर सकती है और साथ ही सत्ता में “सम्मानजनक हिस्सेदारी” की बात भी कर रही है। कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि, सिर्फ तेजस्वी यादव को चेहरा बनाकर चुनाव में जाना उचित नहीं होगा। वहीं, वाम दलों का झुकाव भी आरजेडी की ओर दिख रहा है, लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर वहां भी असंतोष के स्वर सुनाई देने लगे हैं।
बीजेपी को मिल सकता है फायदा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन में चल रही इस खींचतान का सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है। खासकर जब एनडीए में नेतृत्व को लेकर कोई संशय नहीं है और सभी दल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकजुट नजर आ रहे हैं।
तेजस्वी की सक्रियता बढ़ी
तेजस्वी यादव इन दिनों लगातार बिहार के जिलों का दौरा कर रहे हैं और जनसभाओं में खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार बता रहे हैं। उनकी कोशिश है कि जनता के बीच यह संदेश जाए कि अगला चुनाव आरजेडी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। बिहार में चुनावी बिसात अभी से बिछने लगी है और कुर्सी की जंग ने महागठबंधन के भीतर हलचल बढ़ा दी है। आने वाले महीनों में अगर महागठबंधन के नेता आपसी मतभेद सुलझा पाते हैं, तो वे एक मजबूत विकल्प पेश कर सकते हैं, वरना मतभेद ही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकता है।