ताड़ासन को 'पर्वतासन' भी कहते हैं। यह आसन स्थिरता और समय के साथ स्थैतिकता बढ़ाता है। इसके लिए खड़े होकर ऊपर की ओर हाथ ऊंची करें और सांस लें।

ताड़ासन

– यह 'वृक्ष' के रूप में जाना जाता है। इसमें एक पैर को दूसरे पैर के ऊपर रखा जाता है और हाथों को प्रार्थना मुद्रा में ऊंचा किया जाता है।

वृक्षासन

भुजंगासन

भुजंगासन को 'सर्पासन' भी कहा जाता है। इसमें पेट को भूमि पर रखकर उठाया जाता है और सीधी हाथों से शरीर को ऊपर की ओर बढ़ाया जाता है।

बालासन

यह 'बच्चे' के रूप में जाना जाता है। इसमें बैठे हुए शरीर को आगे की ओर झुकाया जाता है और शांति प्राप्त की जाती है।

पश्चिमोत्तानासन

– यह आसन कमर, पीठ और पैरों की मांसपेशियों को इष्ट स्थिति पर लाने में मदद करता है।