पाकिस्तान की साजिशों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करने के लिए बनाई गई भारतीय संसदीय टीम के एक अहम सदस्य के रूप में पूर्व क्रिकेटर और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद यूसुफ पठान को भी शामिल किया गया था। लेकिन अब खबर है कि उन्होंने इस टीम के साथ पाकिस्तान को बेनकाब करने की इस अहम यात्रा में जाने से इनकार कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, यूसुफ पठान ने अचानक इस मिशन से अलग होने का फैसला लिया, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। उनके इनकार के पीछे का कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन कयासों का दौर शुरू हो गया है।
एक ओर जहां यह टीम पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद, सीमा पर सीजफायर उल्लंघन और जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी गतिविधियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साक्ष्य देने जा रही है, वहीं यूसुफ पठान का अचानक पीछे हटना कई सवाल खड़े कर रहा है।
क्या यह कोई राजनीतिक दबाव है? या फिर व्यक्तिगत कारण? या फिर रणनीति के तहत लिया गया कोई बड़ा फैसला? यूसुफ पठान की चुप्पी और उनके इनकार ने इस मिशन को लेकर सस्पेंस और भी बढ़ा दिया है।
तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को केंद्र सरकार को बताया कि यूसुफ पठान या पार्टी का कोई अन्य सांसद सर्वदलीय प्रतिनिमंडल का हिस्सा नहीं बनेगा. यह प्रतिनिधमंडल पाक को आतंकवाद के मसले पर बेनकाब करने के लिए कई देशों में जाएगा.
वही ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी टीएमसी ने कहा, ”हम मानते हैं कि देश सबसे पहले है और केंद्र सरकार को देश की रक्षा के लिए आवश्यक किसी भी कार्रवाई करने के लिए अपना पूरा समर्थन दिया है। हमारे सशस्त्र बलों ने देश को गौरवान्वित किया है और उनके प्रति हमेशा ऋणी रहेंगे। विदेश नीति पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। इसलिए, केवल केंद्र सरकार को ही हमारी विदेश नीति तय करने और इसके लिए पूरी जिम्मेदारी लेने देना चाहिए।