दक्षिण-पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देशों थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों से चल रहा विवाद एक प्राचीन शिव मंदिर को लेकर है, जिसे प्रीह विहार मंदिर (Preah Vihear Temple) कहा जाता है। यह मंदिर भले ही धार्मिक आस्था का केंद्र हो, लेकिन इसकी भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक दावे दोनों देशों के बीच तनाव की वजह बने हुए हैं।
क्या है प्रीह विहार मंदिर?
- यह मंदिर 11वीं सदी में बनाया गया था और भगवान शिव को समर्पित है।
- यह मंदिर कंबोडिया के डांगरेक पहाड़ों में स्थित है, लेकिन यह थाईलैंड की सीमा के बेहद नजदीक है।
- स्थापत्य शैली खमेर साम्राज्य की है, जिसने दक्षिण-पूर्व एशिया के बड़े हिस्से पर शासन किया था।
विवाद की जड़ क्या है?
- कंबोडिया का दावा: मंदिर उनके क्षेत्र में आता है और यूनेस्को ने भी इसे कंबोडिया की विरासत घोषित किया है।
- थाईलैंड का विरोध: थाईलैंड का कहना है कि मंदिर तक पहुंचने वाला मुख्य मार्ग उनकी सीमा से होकर जाता है, और कुछ हिस्सों पर उनका अधिकार है।
- 1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना, लेकिन इसके आसपास की जमीन पर विवाद जारी है।
क्या हुआ था 2008 में?
- 2008 में जब यूनेस्को ने मंदिर को World Heritage Site घोषित किया, तब विवाद और बढ़ गया।
- इसके बाद दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर आमने-सामने आ गईं और छोटी-छोटी झड़पें भी हुईं।
- कई सैनिकों की जान भी गई और आसपास के गांवों को खाली करवाना पड़ा।
अब क्या है स्थिति?
हाल के वर्षों में दोनों देशों ने राजनयिक बातचीत और कोर्ट के फैसलों के जरिये विवाद सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन समय-समय पर यह मुद्दा फिर से गरम हो जाता है।
क्यों है यह मंदिर महत्वपूर्ण?
- धार्मिक दृष्टिकोण से: शिवभक्तों के लिए यह एक पवित्र स्थल है।
- राजनीतिक दृष्टिकोण से: यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से संवेदनशील है और राष्ट्रवाद से जुड़ी भावना इसमें शामिल है।
- सांस्कृतिक दृष्टिकोण से: खमेर और थाई स्थापत्य कला का संगम यहां देखने को मिलता है।