Ambubachi Mela Kamakhya Temple: असम के गुवाहाटी स्थित कामाख्या मंदिर में हर साल जून में अंबुबाची मेला लगता है, जिसे रहस्यमयी और चमत्कारी माना जाता है। इस दौरान देवी मां के मासिक धर्म की मान्यता के कारण मंदिर तीन दिन बंद रहता है और पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता है। मेले में हजारों श्रद्धालु और तांत्रिक शामिल होते हैं।
आखिर क्यों बंद हो जाता है मंदिर?
यह मान्यता है कि इन तीन दिनों में मां कामाख्या को ऋतुस्राव (Menstruation) होता है। इस दौरान देवी को “विश्राम” की स्थिति में माना जाता है और मंदिर के गर्भगृह को बंद कर दिया जाता है। यह समय प्राकृतिक सृजन शक्ति का प्रतीक होता है।
यें भी माना जाता है अंबुबाची मेले के तीन दिन के समय पास की ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का लाल पड़ जाता है। चौथे दिन, जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं, तो दूर-दूर से भक्त देवी मां के दर्शन करने पहुंचते हैं। उन्हें प्रसाद के रूप पर पहले झरने का पानी और एक खास कपड़ा दिया जाता है, जिसे अंगवस्त्र कहते हैं। ये वो कपड़ा होता है, जिसका इस्तेमाल मासिक धर्म के समय मंदिर के गर्भगृह को ढकने के लिए किया जाता है।
कब होता है अंबुबाची मेला?
- यह मेला हर साल जून माह में, संक्रांति के बाद शुरू होता है
- 3 दिन मंदिर के गर्भगृह को बंद रखा जाता है
- 4वें दिन ‘प्रसाद’ वितरण के साथ मंदिर दोबारा खुलता है
पुरुषों के लिए नियम:
- इन 3 दिनों में पुरुषों को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होती
- साधक, भक्त या पर्यटक – किसी को भी गर्भगृह के पास जाने नहीं दिया जाता
- महिलाओं का प्रवेश भी बहुत सीमित होता है, विशेष नियमों के तहत
क्या करते हैं भक्त इन तीन दिनों में?
- साधक और श्रद्धालु इस दौरान मां की साधना, मंत्र जाप और उपवास करते हैं
- कई लोग मंदिर के बाहर रुककर ही साधना में लीन रहते हैं
- साध्वी, तांत्रिक और संन्यासी इसे आध्यात्मिक पुनर्जागरण का समय मानते हैं
क्या है इससे जुड़ी मान्यता?
कामाख्या देवी को सृष्टि की जननी माना जाता है और यह शक्ति पीठों में से सबसे प्रमुख है। कहा जाता है कि देवी सती का योनि अंग यहीं गिरा था, इसी कारण यहां “मूर्तिरहित” पूजा होती है – केवल योनिकुंड (yoni kunda) की पूजा की जाती है।