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आखिर गैर शादीशुदा कपल क्यों नहीं जा सकते जगन्नाथ मंदिर? क्यों है प्रेमियों पर रोक? कारण जान आप भी नहीं जाएंगे

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जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा 27 जून 2025 से शुरू हो रही है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा नगर भ्रमण पर निकलते हैं। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि कई रहस्यों से भी जुड़ा है। मान्यता है कि यहां अविवाहित जोड़े प्रवेश नहीं कर सकते, क्योंकि मंदिर सिर्फ विवाहित भक्तों को ही स्वीकारता है।

ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की सबसे बड़े और पवित्र उत्सव रथ यात्रा इस साल 27 जून 2025 से शुरू हो रही है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होने वाली ये यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को यहां खींच लाती है। देश-विदेश से भक्त इस खूबसूरत और भव्य आयोजन में शामिल होने आते हैं, जहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ पूरे विधि-विधान के साथ नगर की सैर पर निकलते हैं।

ये मंदिर केवल आस्था का केंद्र ही नहीं है, बल्कि ये कई रहस्यों से भी जुड़ा हुआ है, जिन्हें आजतक विज्ञान भी समझ नहीं पाया। इन्हीं परंपराओं में से एक ये भी है कि यहां गैर शादीशुदा यानी प्रेमी जोड़े मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। माना जाता है मंदिर परिसर अविवाहित संबंधों को स्वीकार नहीं करता और यहां केवल विवाहित और आस्था से जुड़े भक्तों को ही दर्शन मिलते हैं। चलिए आपको इसकी वजह बताते हैं।

अविवाहित प्रेमी युगल नहीं जा सकते यहां:

कथा के मुताबिक, एक बार राधा रानी जगन्नाथ मंदिर के लिए आई थीं, लेकिन पुजारियों ने उन्हें मंदिर में घुसने नहीं दिया। वजह बताई गई कि वे श्रीकृष्ण की प्रेमिका थीं और मंदिर की परंपरा के मुताबिक, गैर शादीशुदा प्रेमियों को प्रवेश नहीं मिलता था। राधा रानी से आहत होकर श्राप दिया कि जो भी अविवाहित प्रेमी युगल मंदिर में एक साथ आएगा, उनका प्रेम कभी पूरा नहीं होगा। माना जाता है, ये नियम बना रहा और आज भी श्रद्धालु इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं।

दुनिया की रसोई जहां कभी भोजन नहीं पड़ता कम:

मंदिर परिसर में मौजूद अन्न रसोई को दुनिया की सबसे बड़ी रसोई कहते हैं। यहां हर दिन हजारों भक्तों के लिए भोजन बनता है। खास बात ये है चाहे जितनी भी भीड़ हो, आजतक ऐसा कभी नहीं सुनने में आया कि कोई भक्त प्रसाद से वंचित रहा हो। यहां भोजन बनाने का पारंपरिक तरीका और इसकी योजना भी चमत्कार से कम नहीं है।

मंदिर की परछाई क्यों नहीं बनती है?:

जगन्नाथ मंदिर की एक और रहस्यमयी बात ये है, दिन के किसी भी समय, चाहे सूरज किसी भी दिशा में हो, मंदिर की परछाईं जमीन पर नहीं पड़ती। ये सुनने में आपको असंभव सा लगेगा, लेकिन ये सच है, जिसे आजतक विज्ञान भी नहीं साबित कर पाया है।

कैसे पहुंचे जगन्नाथ मंदिर:

जगन्नाथ मंदिर, पुरी (ओडिशा) पहुंचने के लिए आप भुवनेश्वर हवाई अड्डे तक फ्लाइट ले सकते हैं, वहां से पुरी 60-65 किमी दूर है और टैक्सी या बस से पहुंचा जा सकता है। पुरी रेलवे स्टेशन देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा है। स्टेशन से मंदिर करीब 3 किमी दूर है, जहां आप ऑटो या रिक्शा ले सकते हैं। सड़क मार्ग से भी पुरी पहुंचने के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।

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