क्या आपने भी अपनी कार में कंपनी द्वारा लगाया गया सनशेड लगा रखा है और सोचते हैं कि अब चालान से सुरक्षित हैं? तो सावधान हो जाइए। चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस ने हाल ही में एक ऐसी कार का चालान कर दिया, जिसमें सनशेड फैक्ट्री फिटेड था। इस कार्रवाई ने आम लोगों के बीच कन्फ्यूजन और चिंता दोनों को बढ़ा दिया है।
क्या हुआ मामला?
- एक वाहन मालिक की कार पर पुलिस ने सनशेड नियमों के उल्लंघन के तहत चालान जारी किया
- वाहन में लगा सनशेड कंपनी द्वारा डिफॉल्ट रूप से इंस्टॉल किया गया था
- बावजूद इसके, पुलिस ने कहा कि सनशेड का VLT (Visible Light Transmission) स्तर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत था
सुप्रीम कोर्ट का नियम क्या कहता है?
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिए गए आदेश में साफ कहा था:
- सामने की विंडशील्ड और पीछे की विंडो में कम से कम 70% प्रकाश गुजरना चाहिए
- साइड विंडो में कम से कम 50% VLT अनिवार्य है
- कोई भी ऐसी फिल्म या ग्लास—even if factory-fitted—अगर इन मानकों को नहीं मानती, तो वह अवैध मानी जाएगी
कंपनी फिटेड पर क्यों उठे सवाल?
ऑटो कंपनियां आजकल कारों में सनशेड या प्राइवेसी ग्लास को डिफॉल्ट फीचर के तौर पर देती हैं। लेकिन सवाल यह है:
- क्या कंपनियां VLT के नियमों को फॉलो कर रही हैं?
- क्या ग्राहक को इसकी जानकारी दी जा रही है?
पुलिस के अनुसार, “कानून में कंपनी और ग्राहक का फर्क नहीं होता”, जो भी VLT स्तर से बाहर होगा, चालान तय है।
क्या करें वाहन मालिक?
- गाड़ी खरीदते समय सनशेड की VLT वैल्यू की लिखित जानकारी लें
- ट्रांसपेरेंसी कम लगने पर आरटीओ या ट्रैफिक पुलिस से पूछताछ करें
- बिना प्रमाणपत्र वाले ग्लास या फिल्म को तुरंत हटवाएं
- चालान से बचना है, तो नियमों की समझ जरूरी है
लोगों की प्रतिक्रिया:
- “अगर कंपनी खुद नियम तोड़ रही है तो ग्राहक क्या करें?”
- “चालान सही है, लेकिन ग्राहकों को अंधेरे में रखना गलत है”
- “अब हर खरीदार को VLT मीटर ले जाना होगा?”