दक्षिण कोरिया ने शिक्षा व्यवस्था को सख्त और प्रभावी बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने घोषणा की है कि देशभर के सभी स्कूलों में छात्र क्लासरूम में मोबाइल फोन लेकर नहीं जा सकेंगे। यह नया नियम मार्च 2026 से लागू होगा। शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह कदम छात्रों को पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने और स्मार्टफोन की लत से बचाने के लिए उठाया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, फोन का अत्यधिक इस्तेमाल बच्चों की नींद, एकाग्रता और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है।
नए नियम के तहत छात्रों को क्लास शुरू होने से पहले अपने मोबाइल फोन स्कूल प्रशासन द्वारा तय की गई सुरक्षित जगह या लॉकर में रखना होगा। इस फैसले को लेकर अभिभावकों और शिक्षकों ने स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे बच्चों की पढ़ाई का माहौल बेहतर होगा और वे सोशल मीडिया या ऑनलाइन गेम्स की बजाय अपनी पढ़ाई पर ध्यान देंगे। हालांकि, कुछ छात्रों और पेरेंट्स ने चिंता जताई है कि आपात स्थिति में फोन न होना परेशानी का कारण बन सकता है।
स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स के बीच बढ़ती स्मार्टफोन की लत चिंताजनक होती जा रही है. इसे देखते हुए कुछ समय पहले ऑस्ट्रेलिया ने टीनएजर्स के लिए सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया था. अब दक्षिण कोरिया ने भी ऐसा फैसला लेते हुए क्लासरूम में मोबाइल फोन और डिजिटल डिवाइस ले जाने पर रोक लगा दी है. यह फैसला पूरे देश के स्कूलों में लागू होगा. यहां के नेताओं का कहना है कि युवाओं के बीच सोशल मीडिया की लत बड़े संकट का रूप ले रही है।
अगले साल से लागू हो जाएगा फैसला
बुधवार को दक्षिण कोरिया की संसद से पारित हुआ यह फैसला अगले साल मार्च से लागू हो जाएगा. इस नियम का प्रस्ताव लाने वाले नेता चो जुंग-हुन ने बताया कि बच्चे देर रात तक इंस्टाग्राम और टिकटॉक चलाते रहते हैं. हर सुबह उनकी आंखें लाल होती है और वो रात को 2-3 बजे तक इंस्टाग्राम पर रहते हैं. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड में भी ऐसे फैसले लागू किए जा चुके हैं. नीदरलैंड में फैसले के बाद छात्रों के फोकस में सुधार आया है।
छात्रों में देखी गईं ये परेशानियां
दक्षिण कोरिया की 98 प्रतिशत आबादी के पास स्मार्टफोन है और यहां की करीब 99 प्रतिशत आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल करती है. पिछले साल यहां के शिक्षा मंत्रालय ने एक सर्वे किया था. इसमें मिडल और हाई स्कूल के 37 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि सोशल मीडिया उनके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 22 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि जब वो सोशल मीडिया एक्सेस नहीं करते हैं तो उन्हें एंग्जायटी होने लगती है. इसके चलते कई स्कूलों में पहले से ही स्मार्टफोन्स पर रोक लगी हुई थी और अब यह नियम पूरे देश के स्कूलों में लागू हो गया है. हालांकि, दिव्यांग बच्चों को इस नियम में शामिल नहीं किया गया है. साथ ही पढ़ाई के उद्देश्य से स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बच्चों में अनुशासन, फोकस और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देगा और शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत करेगा।