अगर आप भी हेल्थ इंश्योरेंस या ट्रैवल इंश्योरेंस पर भरोसा करते हैं तो यह खबर आपको चौंका सकती है. हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें इंश्योरेंस कंपनी ने मरीज का क्लेम केवल गूगल लोकेशन हिस्ट्री के आधार पर रिजेक्ट कर दिया.
बहुत से लोगों को ये शायद अवैध लग सकता है, Vallabh Motka नाम के व्यक्ति को भी ठीक इसी बात का अनुभव हुआ जब उनका कलेम इस वजह से रिजेक्ट हुआ क्योंकि मरीज की गूगल टाइमलाइन से मरीज की लोकेशन मैच नहीं कर रही थी. गूगल टाइमलाइन पर मरीज की लोकेशन अस्पताल की नहीं थी जिस वजह से कलेम रिजेक्ट की नौबत आ गई.
जानकारी के अनुसार, मरीज ने बीमारी का हवाला देकर अस्पताल में भर्ती होने और खर्चों का दावा किया. लेकिन इंश्योरेंस कंपनी ने जांच पड़ताल के दौरान मरीज का Google Location History चेक किया, जिसमें पता चला कि कथित तौर पर अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि के दौरान लोकेशन रिकॉर्ड कहीं और की थी. इसी आधार पर कंपनी ने क्लेम को फर्जी मानते हुए अस्वीकार कर दिया.
विशेषज्ञों का कहना है कि टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के बीच अब इंश्योरेंस कंपनियां डिजिटल फुटप्रिंट्स यानी गूगल लोकेशन, सोशल मीडिया गतिविधियों और अन्य ऑनलाइन डेटा की मदद से क्लेम को वेरीफाई कर रही हैं. हालांकि, कई मामलों में यह तरीका विवाद का कारण भी बन सकता है क्योंकि लोकेशन हिस्ट्री हर बार सटीक नहीं होती.
उपभोक्ता अधिकार विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई है और कहा कि क्लेम रिजेक्शन का आधार केवल डिजिटल डेटा नहीं होना चाहिए, बल्कि मेडिकल रिकॉर्ड और अन्य प्रमाणों को भी बराबर महत्व दिया जाना चाहिए.
Go Digit का क्या है कहना?
कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक, Google टाइमलाइन का डेटा सहमति के बाद ही अधिग्रहित किया गया था. हालांकि, सभी तथ्यों को प्रस्तुत करने के बावजूद फोरम ने Motka द्वारा प्रदान किए गए डॉक्टर के सर्टिफिकेट के आधार पर GO डिजिट के दावे को खारिज कर दिया.