Apple के लिए भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना जितना जरूरी है, उतनी ही बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। चीन की चाल का असर कंपनी की मुसीबतें बढ़ा रहा है। Foxconn की टेलंगाना स्थित फैक्ट्री, जो Apple के AirPods बनाती है, वहां इन दिनों Dysprosium Rare Earth मेटल की कमी के चलते प्रोडक्शन पर असर पड़ा है। ये AirPods में लगे मैग्नेट और बाकी इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के लिए जरूरी होता है. ये मैटेरियल चीन से आता है और फिलहाल चीन ने इसके एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है।
चीन ने हाल ही में अपने कुछ रेयर अर्थ एलिमेंट्स – जैसे ग्रेफाइट, गैलियम और जर्मेनियम – के एक्सपोर्ट पर सख्ती बढ़ा दी है। ये सभी मेटल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज जैसे AirPods, iPhones, MacBooks आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकी सप्लाई में बाधा आने से अब Apple की भारतीय यूनिट्स को कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चीन की रणनीतिक चाल हो सकती है, जिससे वह ग्लोबल टेक इंडस्ट्री पर दबाव बनाना चाहता है, खासकर उन देशों पर जो चीन से बाहर मैन्युफैक्चरिंग बेस बढ़ा रहे हैं। भारत में Apple ने कुछ समय पहले ही iPhone और AirPods के प्रोडक्शन को बढ़ाया था। लेकिन अब इस तरह की चीन से निर्भरता कंपनी के लिए एक बड़ा जोखिम बनती जा रही है।
कहां है ये फैक्ट्री और क्या है मामला?
Foxconn Interconnect Technology (FIT) की फैक्ट्री तेलंगाना के Kongara Kalan में है. ये हैदराबाद से लगभग 45 किलोमीटर दूर है। ये प्लांट Apple के लिए AirPods बनाता है और भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में बड़ा कदम माना जाता है, लेकिन अब इस प्लांट में Dysprosium की कमी के वजह से AirPods का प्रोडक्शन स्लो पड़ गया है।
चीन की चाल से कैसे बढ़ी Apple की मुश्किलें?
चीन ने अप्रैल 2025 में सात Rare Earth मेटल जैसे Samarium, Dysprosium, Terbium आदि के एक्सपोर्ट पर कंट्रोल लगा दिया है. ये कदम अमेरिका की तरफ से लगाए गए टैरिफ के जवाब में उठाया गया था। अब Foxconn को Dysprosium भेजने के लिए चीनी सरकार की मंजूरी चाहिए, लेकिन अभी तक अप्रूवल नहीं मिला है।
Foxconn ने टेलंगाना सरकार से मदद मांगी, जिन्होंने ये मामला DPIIT और External Affairs Ministry के पास भेजा। EUC (End User Certificate) भी बनवाया गया है, लेकिन अप्रूवल अभी तक नहीं मिला है।
AirPods में क्यों जरूरी है Dysprosium?
Dysprosium का इस्तेमाल Neodymium मैग्नेट को ज्यादा टेंपरेचर पर भी स्टेबल रखने में किया जाता है. इसका इस्तेमाल लेजर सिस्टम, मिलिट्री कम्युनिकेशन और हाई-परफॉर्मेंस डिवाइसेस में भी किया जाता है. इस मेटल के बिना AirPods और कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ठीक से नहीं बन सकते है.
सरकार और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स दोनों ही इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उम्मीद है कि Apple वैकल्पिक सोर्सिंग के जरिए जल्द समाधान निकालेगा।