भारत सरकार ने सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करने और तेज रफ्तार वाहनों पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए ट्रैफिक रडार उपकरणों के लिए नए नियम अधिसूचित किए हैं, जो 1 जुलाई 2025 से प्रभावी होंगे।
नए नियमों की मुख्य बातें
- सत्यापन और मुहरबंदी अनिवार्य: अब सभी ट्रैफिक रडार उपकरणों का विधिक माप विज्ञान विभाग द्वारा सत्यापन और मुहरबंदी अनिवार्य होगी, जिससे उनकी सटीकता सुनिश्चित की जा सके।
- अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप: इन नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानक OIML R-91 के आधार पर तैयार किया गया है, जिससे उपकरणों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ेगी।
- उद्योगों को तैयारी का समय: उद्योगों को इन नियमों का पालन करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है, ताकि वे आवश्यक तकनीकी और प्रक्रियात्मक बदलाव कर सकें।
आम नागरिकों को कैसे होगा लाभ?
- सटीक चालान प्रणाली: सत्यापित रडार उपकरणों से तेज रफ्तार वाहनों की पहचान सटीक होगी, जिससे गलत चालान की संभावना कम होगी।
- सड़क दुर्घटनाओं में कमी: सटीक गति मापन से वाहन चालकों में अनुशासन बढ़ेगा, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
- सड़क संरचना की सुरक्षा: तेज रफ्तार से होने वाली सड़क की टूट-फूट में कमी आएगी, जिससे सड़क संरचना की दीर्घायु बढ़ेगी।
नियमों की तैयारी और परामर्श प्रक्रिया
इन नियमों को अंतिम रूप देने से पहले, भारतीय विधिक माप विज्ञान संस्थान (IILM), रांची के निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। इस समिति ने विभिन्न हितधारकों से परामर्श कर मसौदा तैयार किया, जिसे सार्वजनिक सुझावों के बाद अंतिम रूप दिया गया।
1 जुलाई 2025 से लागू होने वाले ये नए नियम न केवल ट्रैफिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन में मदद करेंगे, बल्कि आम नागरिकों को भी अधिक सुरक्षित और न्यायसंगत यातायात व्यवस्था प्रदान करेंगे।