Homeसक्सेस स्टोरीजिसे कभी दौड़ने के लिए जूते भी नहीं मिले, वो बना भारत का स्टीपलचेज़ चैंपियन!"

जिसे कभी दौड़ने के लिए जूते भी नहीं मिले, वो बना भारत का स्टीपलचेज़ चैंपियन!”

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भारत के एथलेटिक्स क्षेत्र में एक नया सितारा चमका है अविनाश साबले। महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम रोशन करने वाले अविनाश ने स्टीपलचेज़ (3000 मीटर बाधा दौड़) में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे हर युवा एथलीट के लिए प्रेरणा हैं। अविनाश साबले की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि भारत के हर उस युवा की कहानी है जो सपनों को सच्चाई में बदलने का हौसला रखता है।

शुरुआती जीवन और संघर्ष

अविनाश साबले का जन्म महाराष्ट्र के बीड जिले के मंढवा गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही कठिन परिस्थितियों में पले-बढ़े अविनाश को पैदल स्कूल जाना पड़ता था – वह भी कई किलोमीटर दूर। यहीं से उनकी दौड़ की शुरुआत हुई, हालांकि तब उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह दौड़ उन्हें ओलंपिक तक ले जाएगी।

सेना में भर्ती और एथलेटिक्स की शुरुआत

स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अविनाश भारतीय सेना में शामिल हो गए। सेना में रहते हुए उन्होंने अपनी शारीरिक क्षमताओं को पहचाना और वहीं से एथलेटिक्स की दुनिया में कदम रखा। उनकी प्रतिभा को पहचान कर सेना के कोचों ने उन्हें स्टीपलचेज़ के लिए तैयार किया।

रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड

अविनाश साबले ने स्टीपलचेज़ में कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े हैं। उन्होंने बार-बार अपने ही रिकॉर्ड को बेहतर किया है। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तब देखने को मिला जब उन्होंने टोक्यो ओलंपिक और फिर 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। वे पहले भारतीय एथलीट बने जिन्होंने इस स्पर्धा में किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पदक जीता।

खासियत क्या है अविनाश में?

अविनाश की सबसे बड़ी ताकत है उनकी सहनशक्ति, तेज़ी और जज़्बा। कठिन ट्रेनिंग, अनुशासित जीवनशैली और देश के लिए कुछ कर दिखाने का जूनून उन्हें दूसरों से अलग बनाता है। साथ ही, उनका आत्मविश्वास और कभी हार न मानने वाला रवैया उन्हें एक सच्चा चैंपियन बनाता है।

भविष्य की उम्मीद

अब सबकी निगाहें 2024 के पेरिस ओलंपिक पर टिकी हैं, जहां अविनाश से देश को पदक की उम्मीद है। उन्होंने अपने प्रदर्शन से यह साबित कर दिया है कि भारत अब एथलेटिक्स में भी बड़ी ताकत बनकर उभर रहा है।

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