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दाहिना हाथ खोने के बाद भी नही मानी हार,अखिला ने आईएएस बनकर पेश की मिसाल

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यूपीएससी परीक्षा, जिसे भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है, को पास करने के लिए कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत होती है। इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद, हाई स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल की बेटी ने आईएएस बनने में सफलता प्राप्त की

आईएएस अखिला बीएस ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त करके दिखाया कि उनकी दिव्यांगता ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दी। वास्तव में, एक दुर्घटना में अपना दाहिना हाथ खोने के बावजूद, उन्होंने समाज के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनकर साबित किया।

आईएएस अखिला बीएस को 11 सितंबर 2000 को हुई एक बस दुर्घटना में गंभीर चोटें आईं थीं, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने अपना दाहिना हाथ खो दिया। जर्मनी के विशेषज्ञों की सलाह लेने के बावजूद, उनका हाथ ठीक नहीं हो सका।

इस दुर्घटना के बावजूद, आखिला ने हार नहीं मानी और उन्होंने अपने दूसरे हाथ का उपयोग करके लिखना शुरू किया। उन्होंने इस दिव्यांगता को अपने जीवन को पुनः स्थापित करने के लिए एक प्रेरणास्रोत बनाया और यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त की।

अखिला बीएस ने अपनी पढ़ाई में उच्च अंक प्राप्त किए और बोर्ड परीक्षा को सर्वोच्च ग्रेड के साथ पास किया। इंटीग्रेटेड एमए की डिग्री को पूरा करने के बाद, उन्होंने 2019 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। वह पहले दो प्रयासों में प्रीलिम्स परीक्षा पास करने में सफल रहीं, लेकिन मेन्स परीक्षा में सफलता नहीं मिली।

फिर भी, 2020 और 2021 में दो बार लगातार फेल होने के बाद, उन्होंने 2022 में यूपीएससी की परीक्षा के लिए फिर से यात्रा की। इस बार उन्होंने 760वीं रैंक के साथ आईएएस बनने में सफलता प्राप्त की। एक इंटरव्यू में आईएएस अखिला ने बताया कि उनका आईएएस बनने का सपना उनके शिक्षक ने देखाया था, और इस उद्दीपन के बाद उन्होंने एक साल तक बेंगलूरू में कोचिंग भी ली थी।

आईएएस अखिला ने बताया कि इस सफर में उनके माता-पिता और परिवार ने उन्हें बहुत समर्थन प्रदान किया है। उन्होंने यह भी बताया कि उनका मुख्य लक्ष्य केवल आईआईएस बनना था। परीक्षा के दौरान लगातार लिखना अखिला के लिए एक बड़ी चुनौती थी। इन चुनौतियों को पार करते हुए अखिला ने अपने सपनों को पूरा किया।

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