मनु भाकर भारतीय निशानेबाजी की एक उभरती हुई सितारा हैं, जिन्होंने अपने असाधारण कौशल और दृढ़ संकल्प से देश का नाम रोशन किया है। एक छोटी सी उम्र में ही उन्होंने निशानेबाजी की दुनिया में तहलका मचा दिया है और अपने देश के लिए कई गौरवशाली उपलब्धियां हासिल की हैं।
प्रारंभिक जीवन और शूटिंग की शुरुआत
हरियाणा के झज्जर जिले में जन्मी मनु भाकर ने बचपन से ही खेलों में रुझान दिखाया। उन्होंने टेनिस, स्केटिंग और मुक्केबाजी जैसी खेलों में भाग लिया और राष्ट्रीय स्तर पर थान ता नामक मार्शल आर्ट में भी पदक जीता। हालांकि, उनकी जिंदगी में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने 14 साल की उम्र में शूटिंग में रुचि दिखाई। रियो ओलंपिक 2016 के समापन के एक हफ्ते बाद ही उन्होंने अपने पिता से एक शूटिंग पिस्टल लाने की जिद की।
शूटिंग में उल्कापिंड की तरह उड़ान
मनु भाकर की शूटिंग में यात्रा एक उल्कापिंड की तरह रही। उन्होंने मेक्सिको के ग्वाडलजारा में हुए अंतर्राष्ट्रीय खेल शूटिंग महासंघ (आईएसएसएफ) विश्व कप में डेब्यू करते हुए ही इतिहास रच दिया। महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में उन्होंने क्वालीफिकेशन राउंड में जूनियर विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए फाइनल में प्रवेश किया। अपने पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में उन्होंने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अन्ना कोराकाकी और अन्य दिग्गजों को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक जीत लिया। महज 16 साल की उम्र में वह आईएसएसएफ विश्व कप जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बन गईं।
ओलंपिक गौरव
मनु भाकर की सबसे बड़ी उपलब्धि पेरिस ओलंपिक 2024 में आई। उन्होंने इस ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। पहला पदक उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में और दूसरा पदक मिश्रित टीम 10 मीटर एयर पिस्टल में जीता। इस तरह वे एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।
व्यक्तित्व और भविष्य
मनु भाकर न केवल एक प्रतिभाशाली निशानेबाज हैं बल्कि एक शांत और विनम्र व्यक्तित्व की भी धनी हैं। उनके दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत ने उन्हें देश का नायक बना दिया है। युवाओं के लिए वे एक प्रेरणा स्रोत हैं।
भारतीय निशानेबाजी के भविष्य को देखते हुए मनु भाकर एक उज्जवल सितारे के रूप में उभर रही हैं। उनके पास अभी भी कई और ओलंपिक खेलने हैं और उम्मीद है कि वह और भी कई पदक जीतकर देश का नाम रोशन करेंगी।