Homeसक्सेस स्टोरीसाहस की मिसाल लक्ष्मी अग्रवाल: ज़ख्मों से नहीं, ज़िन्दगी से जीती जंग

साहस की मिसाल लक्ष्मी अग्रवाल: ज़ख्मों से नहीं, ज़िन्दगी से जीती जंग

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आज हम आपको एक ऐसी महिला की सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे है जो अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है लेकिन यह खूबसूरती चेहरे की नही बल्कि मन की है। जिन्होंने अपने संघर्षों पर जीत हासिल की और एक दमदार पर्सनालिटी बनकर उभरी। जी हां हम बात कर रहें है लक्ष्मी अग्रवाल की। लक्ष्मी अग्रवाल एक भारतीय महिला हैं, जिन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस से समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। वह एक एसिड अटैक सर्वाइवर, सामाजिक कार्यकर्ता और टीवी होस्ट हैं, जिन्होंने एसिड अटैक पीड़ितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई है।​

जीवन पर हमला और पुनरुत्थान

1 जून 1990 को नई दिल्ली में जन्मी लक्ष्मी की जिंदगी में एक दर्दनाक मोड़ तब आया जब 2005 में, मात्र 15 वर्ष की आयु में, उन पर एक 32 वर्षीय व्यक्ति ने एसिड से हमला किया। इस हमले का कारण था लक्ष्मी द्वारा उस व्यक्ति के विवाह प्रस्ताव को ठुकराना। इस भयावह घटना के बावजूद, लक्ष्मी ने हार नहीं मानी और अपने संघर्ष को अपनी ताकत बना लिया। ​

सामाजिक कार्य और उपलब्धियां

लक्ष्मी ने ‘स्टॉप एसिड अटैक्स’ अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई और एसिड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए 27,000 हस्ताक्षरों का समर्थन जुटाया। उन्होंने 2006 में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की, जिसमें एसिड हमलों से संबंधित कानूनों में संशोधन और पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की गई।

उनके सामाजिक कार्यों के लिए, लक्ष्मी को 2014 में तत्कालीन अमेरिकी प्रथम महिला मिशेल ओबामा द्वारा ‘इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें 2018 में मदर टेरेसा अवार्ड भी मिला। ​

फिल्म छपाकऔर जागरूकता

लक्ष्मी की प्रेरणादायक कहानी पर आधारित फिल्म ‘छपाक’ 2020 में रिलीज़ हुई, जिसमें अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने मुख्य भूमिका निभाई। इस फिल्म ने एसिड अटैक पीड़ितों की समस्याओं और उनके संघर्षों को समाज के सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ​

लक्ष्मी अग्रवाल वर्तमान में एक प्रेरक वक्ता के रूप में कार्यरत हैं और महिलाओं के अधिकारों, सुरक्षा, और एसिड अटैक पीड़ितों के पुनर्वास के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। उन्होंने ‘लक्ष्मी फाउंडेशन’ की स्थापना की है, जो एसिड अटैक पीड़ितों के समर्थन और पुनर्वास के लिए समर्पित है। ​लक्ष्मी की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और समाज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

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