भारत के जाने-माने गणितज्ञ और ‘सुपर 30’ के संस्थापक आनंद कुमार की जीवन कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। एक ऐसे शख्स जिन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर समाज में शिक्षा की अलख जगाई और हजारों जरूरतमंद छात्रों को आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों तक पहुंचाया।
शुरुआती जीवन: साधारण परिवार से असाधारण सोच तक
आनंद कुमार का जन्म 1 जनवरी 1973 को बिहार की राजधानी पटना में एक निम्न-मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता डाक विभाग में क्लर्क थे और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद सीमित थी। लेकिन आनंद की गणित में गहरी रुचि बचपन से ही दिखाई देती थी। उन्होंने सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ाई की और छात्र जीवन में ही कई गणितीय खोजें कीं।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से आया पत्र, लेकिन गरीबी बनी दीवार
आनंद कुमार का सपना था कि वे उच्च गणित की पढ़ाई विदेश में करें। उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से दाखिले का बुलावा भी आया, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी नहीं थी कि वे विदेश जा सकें। पिता की मृत्यु और आर्थिक तंगी ने यह सपना अधूरा छोड़ दिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
ट्यूशन पढ़ाकर खुद को खड़ा किया
अपने सपनों को जीवित रखते हुए आनंद कुमार ने पटना की गलियों में घूम-घूमकर बच्चों को गणित पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने एक कोचिंग सेंटर शुरू किया – “रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स”। यही कोचिंग आगे चलकर सुपर 30 का आधार बनी।
सुपर 30: शिक्षा का क्रांतिकारी मॉडल
साल 2002 में आनंद कुमार ने ‘सुपर 30’ की शुरुआत की। इस पहल के तहत वे हर साल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 30 मेधावी छात्रों को मुफ्त में IIT-JEE की तैयारी कराते हैं। न सिर्फ पढ़ाई, बल्कि रहने, खाने और मार्गदर्शन की पूरी जिम्मेदारी वे खुद उठाते हैं। आज तक सैकड़ों छात्र उनकी देखरेख में आईआईटी में चयनित हो चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय पहचान और बॉलीवुड फिल्म
आनंद कुमार के कार्यों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया। टाइम मैगज़ीन, बीबीसी, और द न्यूयॉर्क टाइम्स जैसी प्रतिष्ठित संस्थाएं उनके काम को कवर कर चुकी हैं। 2019 में उनकी जीवन पर आधारित फिल्म ‘सुपर 30’ रिलीज़ हुई, जिसमें ऋतिक रोशन ने उनका किरदार निभाया। फिल्म ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया बल्कि देशभर में शिक्षा के महत्व को एक नई दिशा दी।
पुरस्कार और सम्मान
आनंद कुमार को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया है। उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधि भी मिल चुकी है। आनंद कुमार की जीवन यात्रा यह दिखाती है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। आज वे न सिर्फ एक शिक्षक हैं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।