भारतीय क्रिकेट में जब भी संघर्ष और सफलता की मिसाल दी जाती है, तो रिंकू सिंह का नाम गर्व से लिया जाता है। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के एक बेहद साधारण परिवार से आने वाले रिंकू की कहानी बताती है कि अगर जज्बा हो, तो हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, मंज़िल जरूर मिलती है। रिंकू सिंह की जिंदगी की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नही है। गैस सिलेंडर डिलीवरी से इंटरनेशनल क्रिकेट तक का सफर उनके लिए आसान नही था।

रिंकू का जन्म 12 अक्टूबर 1997 को हुआ था। उनके पिता एक LPG गैस डिलीवरी मैन थे और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। रिंकू का बचपन संघर्षों से भरा रहा—छोटा सा घर, सात भाई-बहनों के बीच सीमित संसाधन और क्रिकेट खेलने के लिए ना कोई सुविधा, ना ही समर्थन। कई बार रिंकू को पढ़ाई छोड़ने की नौबत भी आ गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

क्रिकेट से उम्मीदें
रिंकू ने बहुत कम उम्र में क्रिकेट को अपना जुनून बना लिया। पैसे की कमी के बावजूद उन्होंने स्थानीय टूर्नामेंट्स में शानदार प्रदर्शन कर सबका ध्यान खींचा। अंडर-16 और अंडर-19 स्तर पर उत्तर प्रदेश के लिए खेलते हुए उन्होंने खुद को साबित किया।

IPL से बदली किस्मत
2018 में रिंकू सिंह को कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) ने खरीदा। हालांकि शुरुआती कुछ सीजन में उन्हें खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन 2023 में उन्होंने गुजरात टाइटन्स के खिलाफ 5 गेंदों में 5 छक्के लगाकर खुद को स्टार बना दिया। वह IPL इतिहास के सबसे रोमांचक फिनिशर्स में से एक बनकर उभरे।
इंटरनेशनल डेब्यू
रिंकू सिंह को 2023 में भारत की T20 टीम में शामिल किया गया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी अपनी पहचान बनाई और हर मौके को भुनाया, जो उन्हें मिला। उनकी बल्लेबाज़ी में न सिर्फ ताकत है, बल्कि एक खास धैर्य और समझदारी भी नजर आती है।
प्रेरणा का स्रोत
रिंकू की कहानी सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि संघर्ष, समर्पण और आत्मविश्वास की कहानी है। वह उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो छोटे शहरों से आते हैं लेकिन बड़े सपने देखते हैं। “कभी छत नहीं थी सिर पर, अब भारत की जर्सी है सीने पर” रिंकू सिंह की यह कहानी यही सिखाती है कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।