जब भी भारत में पर्यावरण संरक्षण की बात होती है, तो बलबीर सिंह सीचेवाल का नाम सम्मान और गर्व से लिया जाता है। एक संत, एक सामाजिक कार्यकर्ता और एक जल योद्धा, उन्होंने अपनी ज़िंदगी पर्यावरण की सेवा और नदियों को पुनर्जीवित करने में समर्पित कर दी। खासतौर पर पंजाब की काली बीन नदी को स्वच्छ और जीवनदायिनी रूप में लौटाना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानी जाती है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
बलबीर सिंह सीचेवाल का जन्म 1962 में पंजाब के कपूरथला जिले के सीचेवाल गांव में हुआ। बचपन से ही समाज और प्रकृति के प्रति उनके अंदर खास लगाव था। उन्होंने अपनी पढ़ाई स्थानीय स्कूल से पूरी की और बाद में नानक पंथी विचारधारा की ओर अग्रसर हुए। वे संत बाबा नानक की शिक्षाओं से प्रेरित होकर समाजसेवा की राह पर चल पड़े।
काली बीन नदी पुनर्जीवन आंदोलन
90 के दशक में जब पंजाब की ऐतिहासिक काली बीन नदी पूरी तरह प्रदूषित और सूख चुकी थी, तब बलबीर सिंह सीचेवाल ने इसे बचाने का बीड़ा उठाया।
- बिना सरकारी सहायता के, उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया।
- स्वयं श्रमदान किया और दूसरों को भी जोड़ा।
- 22 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में नदी की खुदाई, सफाई और जलप्रवाह को पुनः शुरू किया।
उनकी इस मुहिम ने ना सिर्फ काली बीन को जीवन दिया, बल्कि पूरे भारत में एक मिसाल कायम की कि कैसे सामाजिक सहयोग से एक व्यक्ति बदलाव ला सकता है।
सीचेवाल मॉडल स्वच्छता और जल संरक्षण का प्रतीक
उनकी कार्यशैली को ‘सीचेवाल मॉडल’ कहा जाता है, जिसमें गांवों के नालों का गंदा पानी फिल्टर कर सिंचाई लायक बनाया जाता है। इस मॉडल को कई राज्यों और देशों ने अपनाया है। यह मॉडल ग्रामीण विकास, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।
सम्मान और उपलब्धियाँ
- पद्मश्री सम्मान (2008)
- राज्यसभा सदस्य (नामांकित, 2022)
- यूनाइटेड नेशंस और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित
- टाइम मैगज़ीन द्वारा ‘Hero of Environment’ की उपाधि
वर्तमान में भूमिका
राज्यसभा में बतौर नामांकित सदस्य, बलबीर सिंह सीचेवाल पर्यावरण, जल संरक्षण और सतत विकास के मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं। साथ ही, वह आज भी अपने गांव में रहकर लोगों को स्वच्छता, हरियाली और आत्मनिर्भरता का संदेश देते रहते हैं।
प्रेरणा का स्रोत
बलबीर सिंह सीचेवाल का जीवन इस बात का प्रमाण है कि जब एक व्यक्ति सेवा, संकल्प और समर्पण से जुड़ जाए, तो वह नदियों को भी पुनर्जीवित कर सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बन सकता है।