बिहार के पूर्णिया जिले के माँ-बेटे आशा अनुरागिनी और सत्यम् सुंदरम् ने पर्यावरण प्रेम के साथ बांस व्यापार की शुरुआत की थी, लेकिन पैसों की कमी के कारण वे अधिक मार्केटिंग नहीं कर पाए थे। हालांकि, आज उनके उत्पाद देशभर में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने अपने रोडसाइड स्टॉल से बांस के एक प्रोडक्ट, बांस की बोतल, की शुरुआत की थी। शुरुआत में, इनके हैंडमेड प्रोडक्ट्स की जानकारी लोकल मीडिया के माध्यम से शहर के विभिन्न अधिकारियों तक पहुंची, जिससे उन्हें कई तरह की मदद मिलने लगी। उन्होंने धीरे-धीरे नए-नए प्रोडक्ट्स का विकास भी शुरू किया। वक्त के साथ-साथ, उन्हें कुछ आदेश भी मिलने लगे, लेकिन जिस प्रकार की प्रतिक्रिया उन्हें अपेक्षित थी, वह उन्हें नहीं मिल पा रही थी।
इस प्रेरणा के साथ, सत्यम् ने अपनी MBA पढ़ाई पूरी की और नौकरी छोड़कर अपनी माँ के साथ मिलकर व्यवसायिक सफलता की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने प्लास्टिक के वैकल्पिक प्रोडक्ट्स के बारे में रिसर्च करते हुए बांस की विभिन्नता के बारे में जानकारी प्राप्त की, और उसी सोच के साथ 10 बांस की सामग्री खरीदी और उनकी माँ की मदद से बैम्बू बिज़नेस की शुरुआत की।
प्रारंभ में, उनके हैंडमेड बैम्बू बोतलों की पहचान लोकल मीडिया और नगर पालिका तक पहुंची, जिससे उन्हें कई प्रकार की सहायता मिली। धीरे-धीरे, उन्होंने नए-नए उत्पाद विकसित किए और बाजार में प्रवेश किया। समय के साथ, उन्हें अब नियमित ऑर्डर्स मिलने लगे हैं, जो उनके व्यापार को मजबूती दे रहे हैं। हालांकि, उन्हें शुरू में उत्पादों को बेचने में कई संघर्षों का सामना करना पड़ा था।
आज, उनके बैम्बू व्यापार की पहचान देश भर में है, और वे दिल्ली, महाराष्ट्र, और गुजरात सहित कई राज्यों से नियमित आदेश प्राप्त कर रहे हैं। इस सफलता में, जिससे उन्हें व्यापार के लिए अधिक पहचान मिली।
सत्यम् इसे अपने अनुभव के रूप में समझते हैं, “मैंने नौकरी छोड़कर इस छोटे से व्यापार की शुरुआत की थी। मुझे प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन योजना के तहत 10 लाख रुपयों का लोन भी मिला था, लेकिन मेरे प्रोडक्ट्स की बिक्री केवल लोकल बाजारों में ही सिमित थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे अपने प्रोडक्ट्स को देशभर में प्रसारित करूं। धीरे धीरे उन्होंने अपने कठिन परिश्रम से अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाया
आज उनका व्यापार कई राज्यों में फैला हुआ है