शुरुआत एक छोटे शहर से
राजस्थान के एक छोटे से कस्बे से आने वाली नेहा ब्यादवाल ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो मंज़िल तक पहुंचने में कोई ताकत रोड़ा नहीं बन सकती। सीमित संसाधनों और साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद, नेहा ने UPSC की कठिन परीक्षा को बेहद कम उम्र में पास कर इतिहास रच दिया।
शिक्षा और संघर्ष
नेहा शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थीं। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक किया। उसी दौरान उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की। हालांकि उनके पास न तो बड़े कोचिंग संस्थानों की सुविधा थी, और न ही बड़े शहरों जैसा माहौल, लेकिन उन्होंने सेल्फ-स्टडी के दम पर खुद को साबित किया।
कई बार विफलता, लेकिन हार नहीं मानी
पहले प्रयास में नेहा सफल नहीं हो पाईं। लेकिन उन्होंने इसे अंत नहीं, बल्कि सीखने का मौका माना। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा, तैयारी का तरीका बदला और अगले प्रयास में वो कर दिखाया जो लाखों लोग सपने में भी नहीं सोच पाते कम उम्र में IAS बनना।
IAS बनने के बाद की ज़िंदगी
IAS बनने के बाद नेहा ने समाज के लिए काम को ही अपनी प्राथमिकता बनाया। शिक्षा, बाल विकास और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर उनकी गहरी पकड़ और जमीनी काम ने उन्हें एक जनप्रिय अधिकारी बना दिया है।
नेहा कहती हैं: “अगर आप सच्चे मन से कुछ पाना चाहते हैं, तो आपकी मेहनत और नियत, दोनों आपकी सबसे बड़ी ताकत बन जाती हैं।”
नेहा ब्यादवाल की सफलता से क्या सीखें?
- छोटे शहर की सोच नहीं, बड़े सपने जरूरी हैं।
- हार को मंज़िल का अंत नहीं, सीख मानें।
- कोचिंग न हो तो आत्मविश्वास को साथी बनाएं।
- संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता।