जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की सख्त कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद की गुहार लगानी शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने हाल ही में चीन, सऊदी अरब और ब्रिटेन समेत कई देशों से संपर्क साधा है। उनका मकसद भारत पर कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश करना और अपनी छवि को सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति जुटाना है।
पाकिस्तान की रणनीति:
- चीन से पुराने रिश्तों का सहारा लेते हुए समर्थन की अपील।
- सऊदी अरब से आर्थिक और कूटनीतिक मदद की उम्मीद।
- ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों से मानवाधिकार के नाम पर भारत के खिलाफ बयानबाजी की अपेक्षा।
भारत का कड़ा रुख:
भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की तैयारी शुरू कर दी है।
पहलगाम अटैक के बाद भारत ने आतंक के खिलाफ और अधिक कड़े कदम उठाने के संकेत दिए हैं। भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियां मिलकर सीमाओं पर निगरानी बढ़ा रही हैं और आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने की रणनीति पर काम कर रही हैं।
पहलगाम अटैक में कई जवान शहीद हुए थे और इसे सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का सीधा उदाहरण माना जा रहा है। इस हमले के बाद देशभर में गुस्सा है और पाकिस्तान को एक बार फिर आतंक के पनाहगाह के रूप में देखा जा रहा है।
पाकिस्तान की हताशा यह दर्शाती है कि भारत की सख्त नीति और वैश्विक स्तर पर बढ़ती प्रतिष्ठा ने उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग कर दिया है। अब चाहे वह चीन का दरवाजा खटखटाए या सऊदी अरब-ब्रिटेन से मदद मांगे, भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई समझौता नहीं करेगा।