सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक पिता से उसकी आठ वर्षीय बेटी की अंतरिम कस्टडी छीन ली, क्योंकि वह बच्ची को घर का बना खाना नहीं दे रहा था। पिता ने बच्ची को केवल बर्गर, पिज्जा और अन्य फास्ट फूड खिलाया, जिससे बच्ची दाल-भात जैसे पारंपरिक भोजन के लिए तरस गई।
मामला क्या था?
यह मामला एक तलाकशुदा दंपत्ति से जुड़ा है, जहां पिता को बेटी की अंतरिम कस्टडी मिली हुई थी। मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि पिता बच्ची को संतुलित और पौष्टिक आहार नहीं दे रहा है। बच्ची को लगातार फास्ट फूड परोसा जा रहा है, जिससे उसकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि पिता ने बच्ची को एक भी दिन घर का बना खाना नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्ची की सेहत और पोषण सर्वोपरि है, और उसे संतुलित आहार मिलना चाहिए। इस आधार पर कोर्ट ने पिता से अंतरिम कस्टडी वापस लेकर मां को सौंप दी।
मां की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद मां ने राहत की सांस ली और कोर्ट का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अब वह अपनी बेटी को सही पोषण और देखभाल प्रदान कर सकेंगी।
यह फैसला इस बात पर जोर देता है कि बच्चों की भलाई और स्वास्थ्य सर्वोपरि हैं। अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने बच्चों को उचित पोषण और देखभाल प्रदान करें, चाहे वे किसी भी परिस्थिति में हों।