कनाडा में आज, 28 अप्रैल 2025 को, एक महत्वपूर्ण संघीय चुनाव हो रहा है, जो देश के भविष्य और भारत के साथ रिश्तों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। यह चुनाव तब हो रहा है जब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद मार्क कार्नी ने लीबरल पार्टी की कमान संभाली है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला लीबरल पार्टी के मार्क कार्नी और कंज़र्वेटिव पार्टी के पियरे पोलिवरे के बीच है।
चुनाव की प्रक्रिया और प्रमुख मुद्दे
कनाडा का चुनाव प्रणाली ‘राइडिंग’ (electoral district) पर आधारित है, जिसमें 343 सीटों के लिए मतदान होता है। इस बार के चुनाव में प्रमुख मुद्दे हैं:
- अर्थव्यवस्था और जीवन यापन की लागत: महंगाई और रोजगार की स्थिति पर दोनों पार्टियाँ अपने-अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रही हैं।
- अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कनाडा को 51वाँ राज्य बनाने की धमकी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे को प्रमुख बना दिया है।
- क्यूबेक की स्वतंत्रता की भावना: क्यूबेक में स्वतंत्रता की भावना को लेकर ब्लॉक क्यूबेक्वोइस पार्टी सक्रिय है।
🇨🇦 प्रमुख उम्मीदवार और उनकी नीतियाँ
- मार्क कार्नी (लीबरल पार्टी): पूर्व बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर, कार्नी ने अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।
- पियरे पोलिवरे (कंज़र्वेटिव पार्टी): पोलिवरे ने जीवन यापन की लागत को कम करने और युवा मतदाताओं को आकर्षित करने का वादा किया है।
- जगमीत सिंह (एनडीपी): सिंह ने सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य देखभाल सुधारों पर जोर दिया है।
- एलिज़ाबेथ मे (ग्रीन पार्टी): मे ने पर्यावरणीय मुद्दों और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया है।
🇮🇳 भारत पर असर
भारत और कनाडा के रिश्ते हाल के वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं। मार्क कार्नी की सरकार यदि सत्ता में आती है, तो वह भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की दिशा में कदम उठा सकती है, विशेषकर व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में। हालांकि, पियरे पोलिवरे की सरकार भारत के प्रति अधिक सख्त रुख अपना सकती है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में और जटिलता आ सकती है।
कनाडा का यह चुनाव न केवल देश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत के साथ उसके रिश्तों पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा। चुनाव के परिणामों के बाद दोनों देशों के बीच सहयोग और मतभेदों की नई दिशा तय होगी।
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