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World Haemophilia Day: महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा हीमोफीलिया का खतरा, जानिए क्या है ये बीमारी और कैसे करें बचाव

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हर साल 17 अप्रैल को मनाया जाने वाला वर्ल्ड हीमोफीलिया डे (World Haemophilia Day) रक्तस्राव संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक वैश्विक प्रयास है। इस साल की थीम है – “Equitable Access for All: Recognizing All Bleeding Disorders” यानी हर व्यक्ति को समान स्वास्थ्य सुविधा और ध्यान मिलना।  हालांकि हीमोफीलिया को आमतौर पर पुरुषों से जुड़ी बीमारी माना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में यह खतरा महिलाओं में भी बढ़ता दिख रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है।

क्या है हीमोफीलिया?

हीमोफीलिया एक अनुवांशिक (genetic) रक्त विकार है, जिसमें खून का थक्का (clot) बनने की क्षमता कम या नहीं के बराबर होती है। इसके कारण मामूली चोट या आंतरिक रक्तस्राव भी जानलेवा साबित हो सकता है। यह बीमारी शरीर में क्लॉटिंग फैक्टर VIII या IX की कमी से होती है।

महिलाओं में क्यों बढ़ रहा है खतरा?

  • महिलाओं में कैरीयर” बनने की संभावना अधिक होती है। यानी वे बीमारी को आगे बढ़ा सकती हैं, भले ही लक्षण कम हों।
  • लेकिन अब शोध यह भी दर्शाते हैं कि कई महिलाएं भी हल्के या मध्यम हीमोफीलिया से ग्रसित हो सकती हैं, खासकर अगर शरीर में क्लॉटिंग फैक्टर बहुत कम हो।
  • मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, बार-बार नाक से खून आना या छोटी चोट से लंबे समय तक खून बहना इसके लक्षण हो सकते हैं।

हीमोफीलिया के प्रमुख लक्षण:

  • चोट लगने पर खून का देर तक बहना
  • जोड़ों में सूजन या दर्द (खासकर घुटनों और कोहनियों में)
  • त्वचा पर नीले-नीले धब्बे
  • महिलाओं में अत्यधिक और अनियमित मासिक रक्तस्राव
  • दांत निकलवाने या सर्जरी के बाद रक्तस्राव रुकने में कठिनाई

बचाव और उपचार:

  1. क्लॉटिंग फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी
  2. नियमित मेडिकल जांच
  3. ब्लीडिंग एपिसोड को जल्दी पहचान कर इलाज
  4. चोटों से बचने के लिए सतर्कता
  5. विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह से ही कोई दवा लेना

सरकार और संस्थानों की भूमिका:

भारत में हीमोफीलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया (HFI) जैसे संगठन लगातार रोगियों के लिए रक्त उत्पाद, जांच और थेरेपी उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहे हैं। इसके अलावा, कई राज्यों में सरकारी अस्पतालों में फ्री फैक्टर सप्लाई भी शुरू की गई है।

हीमोफीलिया को लेकर सबसे बड़ी चुनौती है जागरूकता की कमी। खासतौर पर महिलाओं में इसके शुरुआती लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते परीक्षण कराएं और डॉक्टर की सलाह लें। World Haemophilia Day के इस मौके पर हमें समाज के हर वर्ग तक सही जानकारी पहुंचाने और पीड़ितों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने का संकल्प लेना चाहिए।

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