हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) मनाया जाता है। इस वर्ष यानी 2025 में यह दिवस 6 मई को मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है – अस्थमा (दमा) के प्रति जागरूकता बढ़ाना, इलाज को बेहतर बनाना और इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों को सही जानकारी और संसाधन उपलब्ध कराना।
इस वर्ष की थीम है – “Make Inhaled Treatments Accessible for ALL” यानी “इनहेलर जैसी उपचार सुविधाएं सभी के लिए सुलभ हों”।
क्या है अस्थमा?
अस्थमा एक पुरानी सांस की बीमारी है जिसमें व्यक्ति की श्वसन नलिकाएं संकरी हो जाती हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। यह एलर्जी, प्रदूषण, मौसम में बदलाव या किसी भी ट्रिगर से उभर सकती है।
आंकड़ों में अस्थमा:
- दुनियाभर में करीब 25 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं।
- भारत में दुनिया के कुल मामलों का लगभग 13% हिस्सा है, लेकिन यहां अस्थमा से होने वाली मौतें वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा यानी 46% तक हैं।
- WHO के अनुसार, 2019 में अस्थमा से लगभग 4.5 लाख मौतें हुईं।
क्यों जरूरी है जागरूकता?
- भारत के गांवों और छोटे शहरों में अभी भी अस्थमा को लेकर जागरूकता की कमी है।
- बहुत से लोग इनहेलर को दवा की बजाय कमजोरी की निशानी समझते हैं।
- समय पर इलाज न मिलने से हालत गंभीर हो जाती है।
समाधान क्या है?
- सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को चाहिए कि वे सस्ती और गुणवत्ता वाली इनहेल्ड दवाओं को अधिक सुलभ बनाएं।
- डिजिटल हेल्थ टूल्स और स्मार्ट इनहेलर्स का इस्तेमाल बढ़ाना होगा।
- स्कूलों, कार्यस्थलों और ग्रामीण इलाकों में अस्थमा के प्रति शिक्षा अभियान चलाने की जरूरत है।
विश्व अस्थमा दिवस 2025 हमें यह याद दिलाता है कि अस्थमा को रोका नहीं जा सकता, लेकिन नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। यदि सही समय पर सही इलाज मिले तो अस्थमा मरीज भी सामान्य जीवन जी सकते हैं।