वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज यानी की 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन भी सुनवाई हुई। यह सुनवाई करीब 1 घंटे तक चली, जिसमें याचिकाकर्ताओं की ओर से कानून की संवैधानिकता पर सवाल उठाए गए। सुनवाई के अंत में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए 7 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
क्या है मामला?
वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन के जरिए केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों से जुड़ी व्यवस्थाओं में बदलाव किए हैं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह संशोधन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और वक्फ बोर्ड को अत्यधिक शक्तियाँ प्रदान करता है, जिससे आम नागरिकों की संपत्तियों पर अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
- संशोधित कानून में वक्फ संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।
- प्रभावित पक्ष को उचित सुनवाई का मौका नहीं दिया जाता।
- यह संशोधन निजी संपत्ति के अधिकार के खिलाफ है और इससे विवाद बढ़ सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला संवेदनशील और व्यापक प्रभाव वाला है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से पूछा कि वक्फ संशोधन कानून में ऐसी कौन-सी आवश्यकता थी जिससे नागरिकों की चिंता बढ़ी है।
केंद्र सरकार को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 7 दिनों के भीतर कानून के समर्थन में अपना जवाब दाखिल करे। साथ ही कोर्ट ने यह भी संकेत दिए कि अगली सुनवाई में इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर सुना जाएगा।
अगली सुनवाई की तारीख
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अप्रैल के अंतिम सप्ताह में निर्धारित करने का संकेत दिया है, हालांकि अंतिम तिथि का एलान अभी नहीं हुआ है. वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अब गंभीर मोड़ पर पहुंच रही है। अगली सुनवाई में यह तय होगा कि क्या यह कानून संवैधानिक रूप से वैध है या इसे पुनर्विचार की ज़रूरत है। इस मामले पर देशभर की नजरें टिकी हुई हैं।