अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध ने एक बार फिर तेज रफ्तार पकड़ ली है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और 2024 चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) पर 125% का भारी-भरकम टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इस कदम को न केवल चीन की अर्थव्यवस्था पर गहरा झटका माना जा रहा है, बल्कि यह संकेत भी दे रहा है कि ट्रंप एक बार फिर अपने ‘America First’ एजेंडे पर लौट आए हैं।
ट्रंप का प्लान – घरेलू कंपनियों को मजबूत करना
ट्रंप का यह फैसला दरअसल अमेरिका में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। उनका मानना है कि चीन की सस्ती गाड़ियां अमेरिकी बाजार को बर्बाद कर रही हैं और लाखों अमेरिकी नौकरियों को खतरे में डाल रही हैं। ऐसे में यह टैरिफ “ड्रैगन की कमर तोड़ने” वाली चाल मानी जा रही है।
चीन की प्रतिक्रिया – वॉर्निंग मोड में ड्रैगन
चीन ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बीजिंग ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि इस तरह के कदम दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना सकते हैं। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह “अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए जरूरी कदम” उठाएगा।
EV मार्केट बना जंग का मैदान
विशेषज्ञों की मानें तो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का बाजार इस समय वैश्विक आर्थिक प्रतिस्पर्धा का नया युद्धक्षेत्र बन चुका है। जहां अमेरिका टेस्ला और अन्य घरेलू कंपनियों के जरिए मार्केट को लीड करना चाहता है, वहीं चीन की BYD जैसी कंपनियां सस्ते और उन्नत तकनीक वाले विकल्पों के जरिए बाज़ार में धाक जमाने की कोशिश कर रही हैं।
चुनावी रणनीति या व्यापारिक नीति?
ट्रंप का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी जोरों पर है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम सिर्फ चीन को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि “ब्लू कॉलर वोटर्स” को लुभाने के लिए भी उठाया गया है। चीन-विरोधी नीतियों के ज़रिए ट्रंप फिर से अपने पुराने वोट बैंक को सक्रिय करना चाहते हैं।
क्या होगा असर?
- अमेरिकी उपभोक्ताओं को चीनी प्रोडक्ट्स महंगे मिलने लगेंगे।
- चीन के EV निर्माताओं को बड़ा नुकसान हो सकता है।
- वैश्विक सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा, खासकर सेमीकंडक्टर और बैटरी सेक्टर में।
- भारत जैसे देशों के लिए अवसर भी बन सकता है जो चीन के विकल्प के तौर पर उभरना चाहते हैं।
125% टैरिफ का ट्रंप का ये मास्टरस्ट्रोक भले ही फिलहाल एक आक्रामक रणनीति लगे, लेकिन इसका असर सिर्फ चीन ही नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापारिक संतुलन पर भी पड़ेगा। देखना यह होगा कि चीन इस चाल का जवाब किस तरह से देता है – जवाबी टैरिफ लगाकर, WTO में शिकायत करके या नई साझेदारियों के ज़रिए अमेरिका पर दबाव बनाकर।