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UP Electricity Bill Hike: पांच साल बाद यूपी में महंगी हुई बिजली, नए फ्यूल सरचार्ज से बढ़ेगा उपभोक्ताओं का बोझ

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उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को अब अपनी जेब ढीली करनी होगी। राज्य की बिजली कंपनियों ने नए वित्तीय वर्ष 2025-26 से फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट (FPPCA) यानी फ्यूल सरचार्ज को लागू करने का फैसला लिया है। यह फैसला पिछले पांच वर्षों में पहली बार लिया गया है, जब उपभोक्ताओं को बिजली के दामों में सीधा इज़ाफा देखने को मिलेगा।

कितनी बढ़ेगी बिजली?

आपको बताते चले कि, उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) से मिली मंजूरी के बाद, बिजली कंपनियों ने औसतन ₹0.25 से ₹0.75 प्रति यूनिट तक का फ्यूल सरचार्ज लागू करने का प्रस्ताव दिया है। यह दरें अलग-अलग श्रेणी के उपभोक्ताओं घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों पर अलग-अलग प्रभाव डालेंगी।

क्यों लगाया गया फ्यूल सरचार्ज?

खबरों की माने तो, बिजली कंपनियों का कहना है कि कोयला, डीजल और अन्य ईंधनों की कीमतों में बढ़ोत्तरी की वजह से बिजली उत्पादन की लागत में इज़ाफा हुआ है। इसी अंतर को भरने के लिए फ्यूल सरचार्ज लगाया गया है। कंपनियों के अनुसार, यह कदम आवश्यक था, ताकि बिजली आपूर्ति सुचारु बनी रहे और वित्तीय घाटा न बढ़े।

कितने लोगों पर पड़ेगा असर?

उत्तर प्रदेश में करीब 3.5 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें से बड़ी संख्या घरेलू श्रेणी की है। नई दरों का सबसे ज्यादा असर उन्हीं उपभोक्ताओं पर पड़ेगा जो हर महीने 100 यूनिट से अधिक बिजली की खपत करते हैं।

विपक्ष ने उठाए सवाल

बिजली दरों में इज़ाफे को लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इसे आम जनता पर आर्थिक बोझ बताते हुए विरोध जताया है और मांग की है कि सरकार फ्यूल सरचार्ज को वापस ले।

सरकार की सफाई

वहीं, सरकार का कहना है कि फ्यूल सरचार्ज एक तकनीकी और नियमित प्रक्रिया है, जो केंद्र द्वारा तय मानकों के अनुसार की गई है। राज्य सरकार गरीब और किसानों को राहत देने के लिए अलग से सब्सिडी योजनाओं पर काम कर रही है। यूपी में पांच साल बाद बिजली दरों में हुआ इज़ाफा आम आदमी की जेब पर असर डालेगा। जहां सरकार इसे आवश्यक कदम बता रही है, वहीं जनता और विपक्ष इसे आर्थिक बोझ मान रहे हैं।

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