अमेरिकी अदालत में एक सुनवाई के दौरान जब मामला टैरिफ (आयात शुल्क) से संबंधित था, तब ट्रंप प्रशासन ने अप्रत्याशित रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर (संघर्षविराम) का उल्लेख किया।
यह सुनवाई अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए टैरिफ के संदर्भ में हो रही थी, जिसे ट्रंप प्रशासन ने “राष्ट्रीय सुरक्षा” का हवाला देते हुए लागू किया था। अदालत में इस नीति की वैधता पर सवाल उठाए जा रहे थे।
ट्रंप प्रशासन की ओर से अदालत को यह समझाने की कोशिश की गई कि राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ सैन्य जोखिमों तक सीमित नहीं होती, बल्कि वैश्विक स्थिरता और कूटनीतिक घटनाक्रमों से भी जुड़ी होती है। इसी तर्क के तहत उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच 2021 में हुए सीजफायर समझौते का हवाला दिया।
अधिकारियों ने दलील दी कि वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाएं, जैसे भारत-पाक तनाव और सीजफायर समझौते, अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह तर्क बताता है कि ट्रंप प्रशासन अपनी टैरिफ नीति को वैश्विक राजनीति से जोड़कर उसकी वैधता साबित करना चाहता था, ताकि उसे “राष्ट्रीय सुरक्षा” के दायरे में रखा जा सके। यह बयान सुनवाई को और अधिक राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में ले गया, जिससे अदालत में बहस का दायरा व्यापक हो गया।