प्यार, धोखा और जासूसी ये किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि ज्योति की असल ज़िंदगी की हकीकत है। एक साधारण भारतीय लड़की कैसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की जासूस बन गई, यह मामला न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों को चौंका रहा है बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है।
दानिश से दोस्ती बनी जासूसी की पहली सीढ़ी
ज्योति की कहानी की शुरुआत होती है सोशल मीडिया से, जहां उसकी मुलाकात हुई एक पाकिस्तानी युवक दानिश से। दानिश ने खुद को एक बिजनेसमैन बताया और ज्योति को प्यार के जाल में फंसा लिया। दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई, और फिर शुरू हुआ मनोवैज्ञानिक नियंत्रण का खेल।
पाकिस्तान ट्रिप और ISI से कनेक्शन
दानिश ने ज्योति को पाकिस्तान आने के लिए मनाया। सूत्रों के मुताबिक, एक बार जब वह पाकिस्तान पहुंची, तो वहां उसे ISI अधिकारियों से मिलवाया गया। उसे प्रशिक्षण दिया गया कि कैसे भारतीय सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारी जुटाई जाए, कैसे लोगों को झांसे में लिया जाए, और कैसे डिजिटल माध्यम से संपर्क बनाए रखा जाए।
केक डिलीवरी बॉय से भी कनेक्शन
जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि ज्योति का संपर्क एक केक डिलीवरी बॉय से भी था, जो दरअसल ISI के लिए काम कर रहा एक एजेंट था। यह व्यक्ति भारत में ISI की गतिविधियों को संचालित करने में ज्योति की मदद कर रहा था। उसके जरिए भारत में कई संवेदनशील स्थानों की रेकी करवाई गई और फोटो तथा जानकारी पाकिस्तान भेजी गई।
कैसे आई गिरफ्त में?
भारतीय खुफिया एजेंसियों को कुछ समय से उसके मोबाइल और डिजिटल कम्युनिकेशन पर शक था। साइबर सेल और मिलिट्री इंटेलिजेंस की संयुक्त जांच के बाद ज्योति की गतिविधियों पर नजर रखी गई। उसके पाकिस्तान ट्रिप और संदिग्ध लेनदेन के सबूत मिलने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
क्या मिला ISI को?
प्रारंभिक जांच के अनुसार, ज्योति ने भारतीय सेना से जुड़ी कई संवेदनशील जानकारियां और तस्वीरें ISI को भेजीं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि समय रहते ज्योति को पकड़ लिया गया, जिससे बड़ा नुकसान होने से बचा लिया गया।
ज्योति का केस एक चेतावनी है कि दुश्मन अब पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकल कर डिजिटल माध्यमों के जरिए लोगों को निशाना बना रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से भावनात्मक शोषण कर, देश के युवाओं को गुमराह करना ISI की नई रणनीति बनती जा रही है। यह मामला देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक अलर्ट है कि साइबर निगरानी और जनजागरूकता अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो चुकी है।