प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराया। चीन के तियानजिन में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान, पीएम मोदी ने इन तीनों खतरों को किसी भी राष्ट्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए बड़ी चुनौती बताया।
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा, “सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश के विकास का आधार हैं। लेकिन आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद इस राह में बड़ी चुनौतियां हैं।” उन्होंने कहा कि आतंकवाद सिर्फ एक देश की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है। “कोई भी देश, कोई भी समाज, कोई भी नागरिक इससे खुद को सुरक्षित नहीं मान सकता।”
उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भी जिक्र किया और कहा कि यह हमला सिर्फ भारत की अंतरात्मा पर ही नहीं, बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश और हर व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती थी। इस संदर्भ में, उन्होंने एससीओ सदस्य देशों से स्पष्ट और एकजुट होकर यह संदेश देने का आग्रह किया कि “आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं होगा।”
प्रधानमंत्री ने एससीओ के सदस्य देशों से आतंकवाद के वित्तपोषण, आतंकवादियों की भर्ती और सीमा पार आतंकी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए एक मजबूत तंत्र बनाने का आह्वान किया। उन्होंने एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (आरएटीएस) के तहत हुए प्रगति की सराहना की और कहा कि भारत इस दिशा में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पीएम मोदी का यह संबोधन ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी इस सम्मेलन में मौजूद थे। अपने भाषण में, पीएम मोदी ने बिना किसी देश का नाम लिए, उन देशों पर कटाक्ष किया जो आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बनाते हैं।