सावन का महीना हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना भगवान शिव की आराधना और उपवासों का प्रतीक होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस माह में कई कार्य शुभ नहीं माने जाते, जिनमें बाल और नाखून कटवाना भी शामिल है। आइए जानते हैं कि आखिर सावन में बाल क्यों नहीं कटवाए जाते और इसके पीछे क्या धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं।
धार्मिक कारण:
- भक्ति और संयम का महीना:
सावन का महीना पूरी तरह से भक्ति, तपस्या और संयम का प्रतीक होता है। इस दौरान शरीर और मन को जितना हो सके शांत और संयमित रखने की परंपरा है। बाल कटवाना और सौंदर्य से जुड़े काम भौतिक सुखों से जुड़े माने जाते हैं, जिन्हें इस महीने में त्याग देने की सलाह दी जाती है। - शिवजी का विशेष माह:
यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। शिव को भोलेनाथ, तपस्वी और सरल स्वभाव का देवता माना जाता है। सावन में लोग भोग-विलास और सजने-संवरने की चीजों से दूर रहकर साधना करते हैं। इसीलिए बाल कटवाने जैसे कार्यों को वर्जित माना गया है। - पवित्रता और शुद्धता:
पुराने धर्मशास्त्रों में यह भी कहा गया है कि सावन में शरीर को यथासंभव प्राकृतिक रूप में रखा जाए। बाल कटवाना, शेविंग आदि शरीर की मूल अवस्था को बदलते हैं, इसलिए इन्हें इस महीने में वर्जित माना गया है।
वैज्ञानिक कारण:
- मानसून का प्रभाव:
सावन के महीने में मानसून का दौर रहता है, जिससे वातावरण में नमी अधिक होती है। इस दौरान त्वचा और स्कैल्प पर इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है। नाई की दुकान या सैलून जैसी जगहों पर संक्रमित उपकरणों से फंगल या बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है। - बालों की प्राकृतिक वृद्धि:
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून में बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में बाल कटवाने से उनकी वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
क्या करें और क्या न करें:
- सावन में बाल या दाढ़ी कटवाने से बचें, खासकर सोमवार के दिन।
- धार्मिक कार्यों में पूर्ण श्रद्धा के साथ भाग लें।
सावन में बाल न कटवाने की परंपरा केवल एक अंधविश्वास नहीं, बल्कि इसके पीछे धार्मिक श्रद्धा और वैज्ञानिक तर्क दोनों मौजूद हैं। यह महीना आत्म-संयम, साधना और पवित्रता का है, जहां बाहरी सौंदर्य से अधिक आंतरिक शुद्धता को महत्व दिया जाता है।