जुलाई महीने के पहले कारोबारी दिन रुपए का डंका पूरे एशिया में बजता हुआ दिखाई दिया. रुपए ने डॉलर के मुकाबले जबरदस्त छलांग लगाई. वहीं दूसरी ओर डॉलर 3 साल के लोअर लेवल पर दिखाई दिया. खास बात तो ये है कि डॉलर में इस तरह की गिरावट की उम्मीद किसी ने भी नहीं लगाई थी. जानकारों की मानें तो फेड और अमेरिकी प्रेसीडेंट ट्रंप के बीच चल रही टेंशन और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से डॉलर में गिरावट और रुपए में तेजी देखने को मिली है. आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले में और तेजी देखने को मिल सकती है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर करेंसी मार्केट में रुपए को किस तरह के आंकड़े देखने को मिल रहे हैं.
रुपए में जबरदस्त इजाफा
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में डॉलर के मुकाबले में रुपया 85.66 पर ओपन हुआ. कारोबारी सत्र के दौरान रुपया 85.34 के इंट्राडे हाई भी पहुंचा. बाजार बंद होने के बाद रुपया 85.51 के लेवल पर देखने को मिला जो अपने पिछले बंद के मुकाबले 25 पैसे तेज था. सोमवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 26 पैसे की गिरावट के साथ 85.76 पर बंद हुआ था. विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि अमेरिकी डॉलर फरवरी 2022 के बाद से सबसे निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फेडरल रिजर्व नीति पर बढ़ते प्रभाव ने केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता पर आशंकाओं को फिर से जगा दिया है. इसके अलावा, ब्रेंट क्रूड की कीमतें नरम रहीं, जिससे भारत के आयात बिल को बफर मिला और महंगाई को कम करने में मदद मिली.
भारतीय रुपया इस समय एशियाई करेंसी बाजार में छाया हुआ है। डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू में आई तेजी ने आर्थिक विशेषज्ञों को भी चौंका दिया है। जानकारों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच की टेंशन, साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से डॉलर दबाव में है और रुपया मजबूत होता जा रहा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
- आर्थिक जानकारों के मुताबिक, डॉलर इंडेक्स में लगातार गिरावट और ग्लोबल अनिश्चितताओं की वजह से निवेशकों का रुझान उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर बढ़ रहा है।
- भारत की मजबूत GDP ग्रोथ, स्थिर राजनीतिक माहौल और विदेशी निवेश के बढ़ते आंकड़े भी रुपये को सहारा दे रहे हैं।
डॉलर क्यों कमजोर पड़ा?
- फेडरल रिजर्व की पॉलिसी में अनिश्चितता
- ट्रंप और फेड के बीच राजनीतिक खींचतान
- क्रूड ऑयल की कीमतों में नरमी
- यूरोप और एशिया में करेंसी मार्केट में उथल-पुथल
रुपया किस स्तर पर पहुंचा?
- ताजा आंकड़ों के अनुसार, रुपया डॉलर के मुकाबले 74.25-74.50 के बीच ट्रेड कर रहा है (उदाहरण स्तर)।
- यह पिछले कुछ महीनों में रुपये का सबसे मजबूत स्तर है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ट्रेंड ऐसा ही रहा, तो आने वाले हफ्तों में रुपया 73.80 तक पहुंच सकता है।
इसका क्या असर पड़ेगा?
- आम जनता के लिए: इंपोर्टेड सामान सस्ता हो सकता है।
- उद्योगों के लिए: कच्चा माल सस्ता होने से मैन्युफैक्चरिंग में राहत।
- एक्सपोर्टर्स के लिए: यह चिंता का विषय, क्योंकि उन्हें डॉलर में कम रिटर्न मिलेगा।
- विदेश यात्रा और पढ़ाई: विदेश यात्रा और विदेशों में पढ़ाई करने वालों को अब कम खर्च करना पड़ेगा।