देश में ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली को और अधिक मजबूत और संगठित बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। 1 मई 2025 से ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ (Regional Rural Bank) की नीति लागू की जाएगी, जिसके तहत अब प्रत्येक राज्य में केवल एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) होगा। इससे पूरे देश में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी।
क्या है ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ योजना?
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की प्रशासनिक लागत को कम करना।
- संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को ज़्यादा प्रभावी और समान रूप से उपलब्ध कराना।
- तकनीक और मानव संसाधन का एकीकरण करके सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाना।
इस योजना के तहत:
- जिन राज्यों में दो या दो से अधिक आरआरबी कार्यरत हैं, उनका आपस में विलय कर एक ही इकाई बनाई जाएगी।
- इस प्रक्रिया को स्पॉन्सर बैंकों, राज्य सरकारों और नाबार्ड (NABARD) की सहायता से पूरा किया जाएगा।
सरकार का क्या कहना है?
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा: “यह कदम ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करेगा, साथ ही किसानों, छोटे कारोबारियों और ग्रामीण जनता को बेहतर बैंकिंग सुविधाएं मिलेगीं।”
संभावित प्रभाव:
- ग्राहकों को मिलेगा बैंकिंग अनुभव।
- क्रेडिट फैसिलिटी और सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन होगा।
- छोटे बैंकों के विलय से नुकसान में चल रहे बैंकों को मजबूती मिलेगी।
हालांकि इस कदम से अनेक फायदे होंगे, लेकिन इसमें कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- कर्मचारियों का स्थानांतरण और समायोजन एक बड़ा मुद्दा हो सकता है।
- विलय के बाद सॉफ्टवेयर और बैंकिंग सिस्टम्स का एकीकरण तकनीकी रूप से जटिल हो सकता है।
- ग्रामीण ग्राहकों को शुरू में थोड़ी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है।
एक राज्य-एक आरआरबी नीति भारतीय ग्रामीण बैंकिंग इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। इससे ना केवल बैंकों की संचालन क्षमता बेहतर होगी, बल्कि ग्रामीण भारत को भी वित्तीय रूप से और अधिक सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।