कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में फर्जी वोटिंग का आरोप लगाया है। मीडिया से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने कथित तौर पर कुछ सबूत भी दिखाए। राहुल गांधी ने दावा किया कि वोटर लिस्ट में कहीं हाउस नंबर 0 दर्ज है तो कहीं पिता का नाम ही फर्जी है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के इस दावों पर चुनाव आयोग ने पत्र लिखकर उनसे प्रमाण के साथ शपथ पत्र (Declaration/Oath) पर हस्ताक्षर करें। नहीं तो वो अपने बयान वापस लें और जनता को गुमराह न करें।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के हालिया आरोपों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची को लेकर गंभीर अनियमितताओं की बात कही, जिसमें गलत हाउस नंबर और पिता के नाम शामिल होने का दावा किया गया है। अब इन आरोपों पर चुनाव आयोग (Election Commission) ने जवाब मांगते हुए सख्त रुख अपनाया है।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से कहा है कि वे अपने आरोपों को लेकर शपथ पत्र (Affidavit) के माध्यम से प्रमाण पेश करें, अन्यथा उनके बयान को आधारहीन माना जाएगा। आयोग का कहना है कि अगर कोई जनप्रतिनिधि ऐसा गंभीर आरोप लगाता है, तो वह तथ्यों के साथ सामने आए।
क्या कहा राहुल गांधी ने?
राहुल गांधी ने अपने बचाव में कहा,“मेरे बयान ही मेरा वचन हैं। ये आरोप चुनाव आयोग के सार्वजनिक डेटा के आधार पर लगाए गए हैं।” उन्होंने दावा किया कि मतदाता सूची में भारी फर्जीवाड़ा किया गया है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
चुनाव आयोग का रुख क्यों सख्त हुआ?
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि
- इस तरह के गंभीर सार्वजनिक आरोपों का समर्थन साक्ष्य और कानूनी रूप से वैध शपथ पत्र से होना जरूरी है।
- बिना साक्ष्य के ऐसे बयान चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
आगे क्या हो सकता है?
- यदि राहुल गांधी शपथ पत्र और सबूत पेश करते हैं तो आयोग जांच कर सकता है।
- यदि नहीं, तो आयोग इस पर कानूनी कार्रवाई या खंडन जारी कर सकता है।
- यह मामला अब सियासी बहस के साथ-साथ कानूनी पटल पर भी आ सकता है।