सिगरेट पीना एक आम बुरी आदत है, लेकिन इसे छोड़ना उतना ही कठिन भी होता है। कई लोग बार-बार प्रयास करते हैं, लेकिन फिर भी असफल रहते हैं। आखिर ऐसा क्या है जो इस लत को इतनी मजबूती से दिमाग में जकड़ लेता है? हमने इस विषय पर बात की मनोचिकित्सक और नशा मुक्ति विशेषज्ञ डॉ. विकास शर्मा से, जिन्होंने बताया कि सिगरेट की लत शारीरिक से ज़्यादा मानसिक और न्यूरोकेमिकल निर्भरता का मामला है।
दिमाग पर पड़ने वाला असर:
- निकोटीन का प्रभाव:
सिगरेट में मौजूद निकोटीन दिमाग में डोपामाइन नामक रसायन की मात्रा को अस्थायी रूप से बढ़ा देता है। डोपामाइन वही केमिकल है जो हमें खुशी और आराम का अहसास देता है। हर बार सिगरेट पीने पर ये “रिवॉर्ड सिस्टम” एक्टिव होता है, जिससे दिमाग को इसकी आदत पड़ जाती है। - Withdrawal के लक्षण:
जब कोई व्यक्ति सिगरेट छोड़ता है, तो उसके शरीर को निकोटीन की कमी महसूस होती है। इससे चिड़चिड़ापन, चिंता, बेचैनी, थकावट, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत और डिप्रेशन जैसे लक्षण हो सकते हैं। यही वजह है कि लोग दोबारा सिगरेट की ओर लौट जाते हैं। - स्मृति और फोकस पर असर:
लंबे समय तक सिगरेट पीने से मस्तिष्क की याददाश्त और एकाग्रता पर भी असर पड़ सकता है। इससे व्यक्ति को लगता है कि वह सिगरेट के बिना ठीक से सोच या काम नहीं कर सकता।
क्यों है लत छोड़ना चुनौतीपूर्ण?
डॉ. शर्मा बताते हैं, “सिगरेट की लत न केवल फिजिकल है, बल्कि यह एक बिहेवियरल हैबिट भी बन जाती है। सुबह उठते ही, चाय के साथ, या तनाव में — हर स्थिति में दिमाग खुद-ब-खुद सिगरेट मांगने लगता है। यह एक साइक्लिक आदत है जिसे तोड़ने में समय, समर्थन और सही रणनीति लगती है।”
छोड़ने के लिए क्या करें?
- निकोचिन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT) जैसे पैच, च्युइंग गम मददगार हो सकते हैं।
- कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) से आदतों को पहचानकर उन्हें बदलना संभव है।
- फैमिली सपोर्ट और दोस्ती का साथ बहुत जरूरी है।
- मोबाइल ऐप्स और हेल्थ सर्टिफाइड प्रोग्राम्स भी सहायता करते हैं।
सिगरेट छोड़ना कठिन जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं। समझदारी, सही मेडिकल सलाह और संकल्प के साथ आप इस आदत को हमेशा के लिए अलविदा कह सकते हैं। अगर आप या आपके जानने वाले इस लत से जूझ रहे हैं, तो देर न करें — आज ही विशेषज्ञ की मदद लें।