Homeन्यूज़पंजाब में बाढ़ का कहर: भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त, 43 की मौत

पंजाब में बाढ़ का कहर: भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त, 43 की मौत

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पंजाब में इस साल मानसून की भारी बारिश ने भयावह बाढ़ का रूप ले लिया है, जिससे राज्य के कई हिस्सों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बीते कुछ दिनों की लगातार बारिश ने नदियों और नहरों का जलस्तर इतना बढ़ा दिया है कि कई जगह तटबंध टूट गए और पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया। इस आपदा में अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1.71 लाख हेक्टेयर से अधिक फसल बर्बाद हो गई है।

बाढ़ की स्थिति:

पंजाब के 1000 से अधिक गांव इस समय पानी में डूबे हुए हैं, जिससे लाखों लोग बेघर हो गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में पटियाला, संगरूर, मोहाली और फतेहगढ़ साहिब शामिल हैं। खेतों में पानी भर जाने से धान, मक्का और सब्जियों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, अकेले कृषि क्षेत्र में 1.71 लाख हेक्टेयर से अधिक फसलें नष्ट हो गई हैं।

राहत और बचाव कार्य:

पंजाब सरकार, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और भारतीय सेना की टीमें मिलकर राहत और बचाव कार्य चला रही हैं। प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और उनके लिए राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। इन शिविरों में भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। हालांकि, कई इलाकों में पानी अभी भी भरा हुआ है, जिससे बचाव दल को वहां तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया:

इस संकट के बीच, पंजाब और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई दौरा किया। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। केजरीवाल ने केंद्र सरकार से भी इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और राज्य को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने की अपील की है।

इस बीच, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पंजाब का दौरा किया और संकट की इस घड़ी में पंजाब के साथ एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार पंजाब को हर संभव मदद प्रदान करेगी।

आगामी चुनौतियां:

विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाएगा, खासकर जल जनित रोगों का। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। इसके अलावा, पुनर्वास और पुनर्निर्माण का काम भी एक बड़ी चुनौती होगा। किसानों को उनकी बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा देना और बेघर हुए लोगों को दोबारा बसाना सरकार के लिए प्राथमिकता होगी।

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