Homeन्यूज़प्रेमानंद महाराज से मिलें पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी, पूछा अनोखा और भावनात्मक सवाल।

प्रेमानंद महाराज से मिलें पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी, पूछा अनोखा और भावनात्मक सवाल।

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वृंदावन में प्रेमानंद जी महाराज काफी चर्चित है। लाखों लोग उनसे मिलने के लिए देश- विदेश से आते है। हाल ही में पीएम मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी उनस मिलने पहुँचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी ने एक आध्यात्मिक सभा के दौरान प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से एक भावनात्मक और गूढ़ प्रश्न पूछा: “किस रुप में भगवान का ध्यान लगाउ।”

क्या पूछा प्रह्लाद मोदी ने?

प्रह्लाद मोदी ने कहा, ‘मुझे मां के साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, लेकिन दो साल पहले उनका निधन हो गया। अब मैं आध्यात्मिक मार्ग पर चलना चाहता हूं। मैं जब अलग-अलग मंदिरों में जाता हूं तो भगवान का स्वरूप हर जगह अलग होता है। ऐसे में जब ध्यान और भजन करता हूं, तो भ्रम होता है कि किस रूप पर ध्यान लगाऊं। कृपया इसका समाधान बताइए।’

प्रेमानंद महाराज ने क्या उत्तर दिया?

प्रेमानंद महाराज ने बेहद सरल और भावपूर्ण उत्तर देते हुए कहा, ‘दर्शन तो आप सबका करो लेकिन निष्ठा एक स्थान पर रखो।’ उन्होंने आगे कहा, ‘जब हम किसी आचार्य परंपरा से जुड़ते हैं, तो हमारा ध्यान भी उसी परंपरा के इष्ट देव पर केंद्रित होता है। जैसे हम राधावल्लभ संप्रदाय से जुड़े हैं, तो हमारा ध्यान राधावल्लभ जी पर रहेगा। कोई स्वामी हरिदास जी के अनुयायी हैं तो उनका ध्यान श्री बांके बिहारी जी पर रहेगा। जो किसी परंपरा से नहीं जुड़े हैं, वे भी अपनी श्रद्धा के अनुसार किसी एक रूप को अपना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आप मान सकते हैं कि बांके बिहारी जी ही आपके आराध्य हैं और उन्हीं पर ध्यान केंद्रित करें। यही भक्ति का सरल मार्ग है।’

कौन हैं प्रह्लाद मोदी?

प्रह्लाद मोदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई हैं और अहमदाबाद में रहते हैं। वे ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने राशन डीलरों के हकों की लड़ाई में कई बार आंदोलन भी किए हैं। प्रह्लाद मोदी का प्रेमानंद महाराज से मिलना और आध्यात्मिक चर्चा करना यह दर्शाता है कि जीवन के हर पड़ाव पर भक्ति और आत्मिक मार्ग की तलाश इंसान को रहती है।

प्रह्लाद मोदी का यह सरल लेकिन गहरा प्रश्न हर उस व्यक्ति की जिज्ञासा को दर्शाता है जो आध्यात्मिक मार्ग पर है। प्रेमानंद महाराज का उत्तर इस बात की पुष्टि करता है कि भक्ति किसी एक रूप में सीमित नहीं होती, बल्कि मन की सच्ची श्रद्धा ही साक्षात भगवान है

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