पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में इन दिनों हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत के बढ़ते दबाव और सख्त रुख के बीच PoK के कई इलाकों में अघोषित आपातकाल जैसे हालात बन गए हैं। पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी गई है, मदरसे और स्कूल खाली कराए जा रहे हैं, और होटल–गेस्ट हाउसों में पाकिस्तानी सेना का डेरा लगा दिया गया है।
विशेष रूप से मुझफ्फराबाद, रावलकोट और मीरपुर जैसे इलाकों में पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने आम लोगों पर निगरानी बढ़ा दी है। सेना ने रणनीतिक ठिकानों के आसपास के क्षेत्रों को ‘रेड ज़ोन’ घोषित कर दिया है और वहां आम नागरिकों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।
क्या है डर की वजह?
हाल ही में भारत सरकार की ओर से PoK को लेकर दिए गए कड़े बयानों और रणनीतिक कदमों ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। भारत की ओर से PoK को लेकर “अपना क्षेत्र वापस लेने की संवैधानिक जिम्मेदारी” दोहराई गई है। इसके अलावा भारतीय सेना की सीमावर्ती गतिविधियों में अचानक आई सक्रियता ने पाकिस्तान को सतर्क कर दिया है।
एक स्थानीय पत्रकार के अनुसार, “लोग डरे हुए हैं, यहां हर कोई फुसफुसा रहा है कि भारत कुछ बड़ा करने जा रहा है। कई परिवार अपने बच्चों को दूसरे इलाकों में भेज रहे हैं।”
मदरसे क्यों खाली कराए जा रहे हैं?
जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान सेना को शक है कि यदि भारत कोई सैन्य कार्रवाई करता है तो धार्मिक संस्थानों पर भी निगरानी या कार्रवाई हो सकती है। इसलिए मदरसों और कुछ सरकारी स्कूलों को खाली कराकर उन्हें ‘अस्थायी सैन्य ठिकानों’ में बदला जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की चिंता
पाकिस्तान इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वैश्विक समुदाय फिलहाल भारत के पक्ष को ज्यादा गंभीरता से सुन रहा है, खासकर PoK में पाक सेना द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के बढ़ते मामलों को लेकर।
भारत की सख्ती और कूटनीतिक दबाव ने पाकिस्तान को न केवल सैन्य मोर्चे पर, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी बैकफुट पर ला दिया है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में क्या वास्तव में भारत PoK को लेकर कोई निर्णायक कदम उठाता है या यह केवल रणनीतिक दबाव बनाने की नीति है।