प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15-17 जून को कनाडा के अल्बर्टा में आयोजित होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे, जो कि पिछले छह वर्षों में उनकी पहली अनुपस्थिति होगी। इस वर्ष सम्मेलन की मेज़बानी कर रहे कनाडा ने अभी तक भारत को औपचारिक निमंत्रण नहीं भेजा है, जबकि दक्षिण अफ्रीका, यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को आमंत्रित किया गया है।
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में हाल के वर्षों में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर तनाव बढ़ा है। भारत ने कनाडा पर खालिस्तानी अलगाववादियों को शरण देने का आरोप लगाया है, जबकि कनाडा ने पिछले साल खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता का आरोप लगाया था।
हालांकि, जून 2024 में इटली में हुए G7 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बीच एक संक्षिप्त मुलाकात हुई थी, जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की थी। इसके बावजूद, वर्तमान में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में कनाडा की नई सरकार ने भारत को G7 सम्मेलन के लिए निमंत्रण नहीं भेजा है।
भारत सरकार ने संकेत दिया है कि भले ही निमंत्रण प्राप्त हो, प्रधानमंत्री मोदी की सम्मेलन में भागीदारी की संभावना कम है, विशेषकर जब तक कनाडा खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता। यह स्थिति भारत-कनाडा संबंधों में जारी तनाव को दर्शाती है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की भूमिका पर भी प्रभाव डाल सकती है।