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यमुना सफाई पर पीएम मोदी की हाई लेवल बैठक: ब्रज क्षेत्र को जोड़ने और ‘जन भागीदारी आंदोलन’ शुरू करने की सलाह

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यमुना नदी की सफाई को लेकर बुधवार को एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक का उद्देश्य यमुना को प्रदूषण से मुक्त करना और इसके किनारे बसे सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र, को पुनर्जीवित करना था।

बैठक में पर्यावरण मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय समेत विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि  सिर्फ सरकारी प्रयासों से यमुना की सफाई संभव नहीं, इसके लिए जन भागीदारी (People’s Participation) जरूरी है।

ब्रज क्षेत्र को जोड़ने पर विशेष जोर

पीएम मोदी ने कहा कि मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन और गोकुल जैसे ब्रज क्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनकी सांस्कृतिक पहचान भी यमुना नदी से जुड़ी हुई है। इसलिए जरूरी है कि यहां के स्थानीय लोगों, साधु-संतों और श्रद्धालुओं को यमुना की स्वच्छता अभियान से सीधे जोड़ा जाए।

जन भागीदारी आंदोलन’ की सलाह

प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि एक जन आंदोलन के रूप में यह अभियान शुरू किया जाए, जहां छात्र, स्वयंसेवी संगठन, धार्मिक संस्थाएं, किसान और स्थानीय निकाय मिलकर यमुना की सफाई में भाग लें। उन्होंने कहा, “नदियों को बचाने की लड़ाई सिर्फ सरकार की नहीं हो सकती। हमें इसे जनता का आंदोलन बनाना होगा।”

मुख्य बिंदु जो बैठक में उठे:

यमुना के जल में हो रहे प्रदूषण के स्रोतों की पहचान

औद्योगिक और घरेलू सीवेज के प्रभाव को रोकने की रणनीति

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की क्षमता और उनके उन्नयन पर चर्चा

घाटों और नदी किनारे की सफाई के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग

ब्रज क्षेत्र में सांस्कृतिक व आध्यात्मिक कार्यक्रमों के जरिए जागरूकता फैलाना

अभी तक क्या हुआ है?

गौरतलब है कि यमुना नदी की सफाई के लिए पहले भी “Namami Gange” जैसे अभियान चलाए गए हैं, लेकिन यमुना की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ। अब सरकार ने यमुना को प्राथमिकता देते हुए नई कार्ययोजना पर तेजी से काम शुरू करने का निर्णय लिया है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह प्रयास न सिर्फ यमुना की सफाई को एक नई दिशा देने वाला है, बल्कि यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना को भी पुनर्जीवित कर सकता है। यदि ‘जन भागीदारी आंदोलन’ सफल होता है, तो यमुना को फिर से जीवनदायिनी और स्वच्छ बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जाएगा।

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