Homeन्यूज़Paryushana Parva 2025: जैन साधु-साध्वी क्यों करते हैं केशलोचन? जानें इस दर्दनाक परंपरा का महत्व

Paryushana Parva 2025: जैन साधु-साध्वी क्यों करते हैं केशलोचन? जानें इस दर्दनाक परंपरा का महत्व

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जैन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व पर्युषण पर्व 2025 इस साल बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान जैन साधु-साध्वियां आत्मसंयम, तप और त्याग का संदेश देते हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक है केशलोचन, यानी सिर और दाढ़ी के बालों को हाथों से नोंचकर त्याग करना। यह परंपरा बेहद कठिन और दर्दनाक मानी जाती है।

केशलोचन का उद्देश्य सांसारिक मोह-माया, शरीर के आकर्षण और भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर होकर आत्मशुद्धि और वैराग्य की ओर बढ़ना है। जैन साधु-साध्वियां मानते हैं कि शरीर की सजावट, बाल और बाहरी सौंदर्य मोह का कारण है। इसे त्यागकर ही सच्चे तप और साधना की राह पर चला जा सकता है।

इस प्रक्रिया में साधु-साध्वियां अपने सिर और दाढ़ी के बाल हाथों से खींचकर निकालते हैं। इस दौरान उन्हें दर्द सहना पड़ता है, लेकिन इसे आत्मबल और धैर्य की परीक्षा माना जाता है। इस प्रकिया में बालों व दाड़ी को खिंचते व निकालते समय खून भी निकल जाता है। लेकिन बाद में साधु- साध्वियोंं को इसकी आदत हो जाती है। यह प्रक्रिया सबसे दर्दनाक प्रक्रिया में से एक है।

पर्युषण पर्व का मुख्य संदेश है अहिंसा, सत्य और क्षमा। इस अवसर पर जैन समुदाय के लोग व्रत, स्वाध्याय और तपस्या करते हैं। वहीं, साधु-साध्वियां अपने जीवन को और अधिक संयमित और तपस्वी बनाने के लिए केशलोचन जैसे कठोर नियमों का पालन करते हैं। इस समुदाय के लोगों को कई प्रकार के कड़े नियम का पालन करना पड़ता है।

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