बच्चों की सुरक्षा हर माता-पिता की पहली प्राथमिकता होती है। आज के समय में जब बच्चों के साथ दुष्कर्म और यौन शोषण की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, तब यह और भी ज़रूरी हो गया है कि बच्चों को उनकी बॉडी सेफ्टी के बारे में शिक्षित किया जाए।
NCPCC (National Society for the Prevention of Cruelty to Children) द्वारा बनाया गया PANTS Rule एक ऐसा साधारण लेकिन प्रभावी तरीका है जिससे बच्चे अपनी सीमाएं समझते हैं और खतरे को पहचान पाते हैं।
क्या है PANTS रूल?
PANTS एक अक्रोनिम है, जिसमें हर अक्षर एक अहम संदेश देता है:
P – Privates are private
बच्चे को सिखाएं कि उनके प्राइवेट पार्ट्स सिर्फ उनके हैं। कोई भी उन्हें बिना उनकी अनुमति छू नहीं सकता, और अगर कोई ऐसा करे तो उसे तुरंत बताएं।
A – Always remember your body belongs to you
बच्चे को समझाएं कि उसका शरीर सिर्फ उसका है। किसी को भी उसे छूने का अधिकार नहीं है – चाहे वह रिश्तेदार हो या कोई और।
N – No means no
ना कहना उनका हक है। उन्हें सिखाएं कि अगर वे असहज महसूस करें तो “ना” कहना बिल्कुल सही है।
T – Talk about secrets that upset you
अगर कोई ऐसा सीक्रेट बताने को कहे जिससे वह डर या चिंता में हो, तो बच्चे को सिखाएं कि वह वह बात मम्मी-पापा या किसी विश्वसनीय व्यक्ति से जरूर साझा करें।
S – Speak up, someone can help
बच्चे को भरोसा दिलाएं कि अगर उन्हें कोई परेशानी हो रही है तो वे खुलकर बात करें। माता-पिता, शिक्षक या परिवार का कोई बड़ा उनकी मदद कर सकता है।
क्यों ज़रूरी है PANTS रूल?
- ये रूल बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाता है।
- बच्चे खतरे को पहचान पाते हैं।
- असामान्य व्यवहार या टच पर वे रिएक्ट करना सीखते हैं।
- माता-पिता और बच्चों के बीच खुली बातचीत होती है।
माता-पिता क्या करें?
- बच्चों से दोस्त की तरह बात करें।
- कभी भी उनकी किसी बात को नजरअंदाज न करें।
- उन्हें बताएं कि वो किसी भी बात को आपसे शेयर कर सकते हैं।
- बॉडी सेफ्टी के बारे में सहज और सरल भाषा में समझाएं।