पाकिस्तान एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और आंतरिक टकरावों के भंवर में फंसता दिख रहा है। मौजूदा हालातों को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का भविष्य अब चार संभावित रास्तों में से किसी एक की ओर बढ़ सकता है जिसमें से एक है सैन्य तख्तापलट, और दूसरा सीरिया जैसे गृहयुद्ध की स्थिति।
1. सैन्य तख्तापलट का रास्ता: सेना फिर ले सकती है कमान
पाकिस्तान में सेना हमेशा से सत्ता के पीछे की ताकत रही है। इमरान खान की गिरफ्तारी, और PTI समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बाद सेना का जनता के साथ टकराव खुलकर सामने आया है। यदि राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक हालात और बिगड़ते हैं, तो सेना सीधे सत्ता अपने हाथ में ले सकती है — जैसा पहले भी कई बार हुआ है।
2. सिविल वॉर (गृहयुद्ध) की आहट: सीरिया जैसा हाल?
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और सिंध में अलगाववादी आंदोलनों ने फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर, तालिबान से सहानुभूति रखने वाले कट्टरपंथी गुटों की सक्रियता भी बढ़ी है। यदि सरकार और सेना इन पर नियंत्रण नहीं पा सकी, तो देश सीरिया जैसी अराजकता की ओर बढ़ सकता है, जहाँ विभिन्न गुटों के बीच सशस्त्र संघर्ष चल रहा है।
3. लोकतंत्र की वापसी और स्थायित्व का सपना
कुछ विश्लेषक मानते हैं कि यदि राजनीतिक दल आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हो जाएं और सेना पीछे हटे, तो लोकतंत्र को फिर से स्थिरता मिल सकती है। अंतरराष्ट्रीय दबाव, IMF जैसी संस्थाओं की शर्तें, और चीन जैसे सहयोगी देशों की भूमिका इस रास्ते को संभव बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति और समय दोनों की जरूरत होगी।
4. ‘हाइब्रिड रेजीम’ का विस्तार: नकली लोकतंत्र, असली सत्ता सेना के पास
यह सबसे प्रबल विकल्प माना जा रहा है, जहाँ चुनाव तो होंगे, लेकिन नतीजे और सरकार सेना के इशारे पर काम करेगी। इमरान खान को दरकिनार कर नई पार्टियों का उभार इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। यह मॉडल फिलहाल सऊदी अरब और मिस्र जैसे देशों में देखा जा सकता है।
पाकिस्तान आज जिस मोड़ पर खड़ा है, वहाँ से कोई भी रास्ता आसान नहीं है। देश को बर्बादी से बचाने के लिए उसे अपने आंतरिक विरोधों, आर्थिक चुनौतियों और लोकतंत्र के संकट का समाधान निकालना ही होगा। वरना आने वाले समय में पाकिस्तान को एक और सीरिया बनने से कोई नहीं रोक सकता।