महाराष्ट्र में आए दिन कोई न कोई विवाद होता रहता है। हाल ही में महाराष्ट्र में इन दनों मराठी भाषा को लेकर खूब हो विवाद हो रहा है. दरअसल 20 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने सारे गिले शिकवे भुलाकर मेल-मिलाप कर लिया है. जिसके बाद राज्य में सिर्फ मराठी बोलने को लेकर विवाद शुरू हो गया है. एमएनएस के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर खूब ड्रामा कर रहे हैं और राज्य में हिंदी और अन्य भाषा के बोलने पर मनाही की जा रही है.
ऐसे में इस विवाद में अब भोजपुरी एक्टर-सिंगर और बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ ‘निरहुआ’ की भी एंट्री हो गई है। दरअसल निरहुआ अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। मराठी भाषा और क्षेत्रीय पहचान को लेकर चल रही बहस के बीच निरहुआ ने खुलकर कहा, “मैं मराठी नहीं बोलता, और अगर किसी में हिम्मत है तो मुझे महाराष्ट्र से निकाल कर दिखाए।”
उनके इस बयान ने महाराष्ट्र की सियासत और सोशल मीडिया पर आग लगा दी है। मराठी अस्मिता से जुड़े मुद्दों पर अक्सर राजनीति गरम रहती है, और ऐसे में निरहुआ का यह तीखा बयान क्षेत्रीय संगठनों को नागवार गुज़रा है।
कुछ मराठी संगठनों और नेताओं ने उनके बयान की आलोचना करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र की संस्कृति और भाषा का सम्मान हर किसी को करना चाहिए, खासकर उन लोगों को जो यहां राजनीति और व्यवसाय कर रहे हैं। वहीं, निरहुआ समर्थकों का कहना है कि ये बयान किसी खास वर्ग की ओर से हो रहे बहिष्कार के प्रयासों के जवाब में दिया गया है।
भले ही यह मामला व्यक्तिगत बयान का हो, लेकिन क्षेत्रीय पहचान की बहस में यह एक नया मोड़ लेकर आया है।