सावन माह का हर मंगलवार महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। साल 2025 में सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज, यानी 22 जुलाई को रखा जा रहा है। इस व्रत का विशेष महत्व है, खासकर विवाहित स्त्रियों के लिए। महिलाएं इस दिन माता गौरी की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं, व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और सौभाग्य की कामना करती हैं।
मंगला गौरी व्रत का महत्व:
- यह व्रत सुहागन स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
- माना जाता है कि मंगला गौरी व्रत रखने से दांपत्य जीवन में प्रेम, सुख और समृद्धि आती है।
- जिन महिलाओं की शादी हाल ही में हुई है, उनके लिए यह व्रत और भी फलदायक माना जाता है।
मंगला गौरी व्रत कथा (संक्षिप्त रूप में):
एक समय की बात है, एक निर्धन ब्राह्मण की बेटी का विवाह एक अमीर परिवार में हुआ। लेकिन उसकी सास हमेशा उसे ताना देती कि वह अशुभ है। एक दिन वह स्त्री अपनी माँ से मिलने गई और माँ ने उसे मंगला गौरी व्रत रखने की सलाह दी।
उसने पूरे नियमों से व्रत रखा और मां गौरी से प्रार्थना की। कुछ समय बाद उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लौट आई। उसकी सास भी उसे मानने लगी। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि आस्था, श्रद्धा और व्रत से जीवन में चमत्कार संभव है।
पूजा विधि के मुख्य चरण:
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- व्रत का संकल्प लें और मां गौरी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
- 16 सुहाग की चीजें अर्पित करें (सोलह श्रृंगार)।
- व्रत कथा पढ़ें और आरती करें।
- ब्राह्मणों या सुहागिनों को दान दें।