हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन चंद्रमा और मां लक्ष्मी जी की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और आस्था से पूजन करने से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य लाभ मिलता है और घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। इसके अलावा चंद्रमा की पूजा मानसिक शांति और मनोबल बढ़ाने के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का पर्व व्रत, स्नान और दान के दृष्टिकोण से भी अत्यंत पुण्यदायी है। इस दिन विशेषकर गंगा स्नान, व्रत और दान का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 में पूजा का शुभ मुहूर्त, चंद्रमा के उदय का समय और पूजन विधि।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 09 जून 2025, दिन सोमवार, सुबह 03:32 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 10 जून 2025, दिन मंगलवार, सुबह 05:15 बजे तक
इस प्रकार, 9 जून को दिनभर और रात्रि में पूजन का उत्तम योग रहेगा।
चंद्रमा के उदय का समय (Moonrise Time)
- चांद निकलने का समय: 9 जून 2025 की रात लगभग 08:15 बजे (स्थानीय समयानुसार, अलग-अलग शहरों में थोड़ा अंतर संभव)।
इस समय चंद्रमा के दर्शन कर उन्हें अर्घ्य देना विशेष फलदायी माना जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजन विधि
- प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- चंद्रमा और मां लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- चंद्रमा को कच्चे दूध, शहद, चावल, सफेद पुष्प और मिठाई का भोग अर्पित करें।
- मां लक्ष्मी को कमल पुष्प, खीर, फल आदि अर्पित कर विधिपूर्वक पूजा करें।
- रात्रि में चंद्रमा के उदय के समय चांद को अर्घ्य दें और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
- चंद्रमा की पूजा से मानसिक तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है।
- मां लक्ष्मी की पूजा से धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- इस दिन गंगा स्नान व दान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य लाभ मिलता है।
सावधानी: चंद्रमा को अर्घ्य देते समय चांदी या मिट्टी के पात्र का उपयोग करना शुभ माना जाता है। दूध, चावल और शहद का मिश्रण अर्घ्य में डालें।