Homeन्यूज़जितिया व्रत 2025: 14 सितंबर को रखा जाएगा जिउतिया, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व

जितिया व्रत 2025: 14 सितंबर को रखा जाएगा जिउतिया, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व

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संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाने वाला जितिया व्रत (Jitiya Vrat) इस साल 14 सितंबर 2025, रविवार को मनाया जाएगा। इस व्रत को जिउतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है और निर्जला उपवास के रूप में किया जाता है, जिसमें माताएं अपनी संतान की रक्षा और खुशहाली के लिए कठोर तपस्या करती हैं।

जिउतिया व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • जिउतिया व्रत तिथि: 14 सितंबर 2025, रविवार
  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 13 सितंबर 2025, शनिवार को दोपहर 03:00 बजे से
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 14 सितंबर 2025, रविवार को शाम 04:30 बजे तक
  • व्रत का पारण: 15 सितंबर 2025, सोमवार को सूर्योदय के बाद

व्रत की सही विधि

जितिया व्रत तीन दिनों तक चलता है और इसकी शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है।

  1. पहला दिन (नहाय-खाय): 13 सितंबर को महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। इस दिन लहसुन, प्याज और मांसाहार का त्याग किया जाता है। भोजन में मुख्य रूप से मरुवा की रोटी और नोनी का साग शामिल होता है।
  2. दूसरा दिन (निर्जला उपवास): 14 सितंबर को व्रत का मुख्य दिन होता है। इस दिन माताएं पूरे दिन और पूरी रात बिना पानी पिए उपवास रखती हैं। शाम को भगवान जितवाहन और चील व सियारिन की पूजा की जाती है। पूजा के लिए सरसों का तेल, खली, और मिट्टी से बनी जितवाहन की प्रतिमा का उपयोग होता है। कथा सुनने के बाद महिलाएं जितिया (लाल धागे से बनी माला) धारण करती हैं।
  3. तीसरा दिन (पारण): 15 सितंबर को व्रत का पारण किया जाता है। सूर्योदय के बाद स्नान करके महिलाएं व्रत खोलती हैं। पारण के लिए दही-चूड़ा, जलेबी और खीर-पूरी का सेवन किया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों और गरीबों को दान-पुण्य भी किया जाता है।

व्रत का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा की थी। उस समय से ही माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु और सुरक्षा के लिए यह व्रत रखा जाने लगा। जितिया व्रत की कथा में चील और सियारिन का उल्लेख भी मिलता है, जो यह दर्शाता है कि यह व्रत पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करने पर ही फलदायी होता है।

दान का शुभ समय

व्रत के पारण के बाद दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आप अपनी क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र या धन का दान कर सकते हैं।

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