मध्य पूर्व में तनाव गहराने के साथ ही वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई है। ईरान पर इजरायल के कथित हमले के बाद से ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 6% से ज्यादा का उछाल आया है।
अब चिंता इस बात की है कि यदि हालात बिगड़ते हैं और ईरान होर्मूज की खाड़ी (Strait of Hormuz) को बंद करता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति संकट में आ सकती है।
क्या है होर्मूज की खाड़ी का महत्व?
- होर्मूज की खाड़ी से दुनिया के लगभग 30% से ज्यादा कच्चे तेल की सप्लाई होती है।
- अगर यह रास्ता बाधित हुआ, तो तेल की कीमतें $100 प्रति बैरल से भी ऊपर जा सकती हैं।
- इससे पूरे वैश्विक बाजार में ऊर्जा संकट पैदा हो सकता है।
भारत पर क्या असर पड़ेगा?
1. रुपये पर दबाव
तेल की कीमत बढ़ने से भारत को अधिक डॉलर खर्च करने होंगे, जिससे रुपया कमजोर होगा।
2. महंगाई में उछाल
कच्चा तेल महंगा होगा, तो पेट्रोल-डीजल से लेकर ट्रांसपोर्ट, बिजली और रोजमर्रा की चीज़ें महंगी होंगी।
3. व्यापार घाटा बढ़ेगा
भारत अपने तेल का 85% से ज्यादा आयात करता है, जिससे व्यापार घाटा और करंट अकाउंट घाटा दोनों बढ़ सकते हैं।
4. शेयर बाजार में गिरावट
तेल की कीमत बढ़ते ही शेयर बाजार में भी बिकवाली देखी गई है, विशेषकर इंधन कंपनियों के शेयर टूटे हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तनाव जल्द शांत नहीं हुआ, तो भारत को मौद्रिक नीतियों में सख्ती, RBI की दरों में बदलाव, और बढ़ती महंगाई का सामना करना पड़ सकता है।
मध्य पूर्व का संकट न केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारत जैसे ऊर्जा-निर्भर देशों के लिए सीधा आर्थिक संकट बनता जा रहा है। सरकार और RBI इस हालात पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन आम लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है।